कोयलाञ्चल में आज नहाय-खाय के साथ लोक आस्था के महापर्व छठ की शुरूआत
धनबाद । लोक आस्था के महापर्व की शुरुआत आज से होगी। वर्ती नहाय खाय के साथ चार दिनों के इस पर्व को शुरू करेंगे। मंगलवार को व्रत के दूसरे दिन रसियाव-रोटी का प्रसाद ग्रहण कर निर्जला उपवास शुरू करेंगे और अगले दिन अस्तांचल होते भगवान भाष्कर को अर्घ्य देंगे।
सोमवार को व्रति नहाय-खाय के दौरान चावल, चने की दाल और लौकी (घीया) की सब्जी खा कर व्रत को शुरू करने के साथ दूसरे दिन खरना की तैयारी भी शुरू करेंगे। भगवान भाष्कर के चार दिनों के इस अनुष्ठान को लेकर कोयलाञ्चल के कई इलाके गुलजार हो गए है। स्वच्छता के माहौल में पूर्वांचल बाहुल्य क्षेत्र पूरी तरह से छठमय हो गया है। अनाधिकृत कॉलोनी ही नहीं अपार्टमेंट, फ्लैट्स में रहने वाले के घरों में छठी मइया के गीतों से भक्ति की बयार बहने लगी है।
कोविड की वजह से घरों के छत पर ही बनेगा घाट : कोविड की वजह से इस बार भी घरों के छत, बाल्कनी, पार्क में ही नदी का घाट बनेगा। दरअसल यह पर्व बहते हुए पानी के श्रोत वाले घाट पर करने की परंपरा है। इसके साथ ही पार्क व छोटे-छोटे सीमेंटेड तालाब में पानी का जमाव करके भी अपार्टमेंट, सोसायटी, आवासीय परिसर में भी बनाए गए है। व्रती बुधवार की शाम को पहुँच कर पानी में सूप लेकर खड़ी होंगी और अस्तांचल सूर्य को अर्घ्य देंगे और बृहस्पतिवार को उगते हुए सूर्य को अघ्र्य देंगे। कृत्रिम तालाब के साथ वेदियाँ (सुसोप्ता) भी बनाया गया है।
घरों के छत व बाल्कनी में भी पूजा-अर्चना करते है : धनबाद के कई इलाकों में लोग छठ घाट पर नहीं पहुँचने की स्थिति में घरों की छतों पर हौज बनाकर उनमें पानी भरकर छोटे-छोटे समूहों में छठ पूजा करने की तैयारी में है। कई इलाकों में छतों को भी केला के पत्ते से खासतौर पर सजाया जा रहा है। प्लास्टिक व रबर के बड़े हौजनुमा ट्यूब भी इस मकसद से बाजार में खूब बिक रहे है। अनधिकृत कॉलोनी में रहने वाले व कई अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों को छत की उपलब्धता नहीं होने पर गलियों व घरों के बाहर ही पूजा-अर्चना करेंगे।
बाजारों में रौनक : इस पर्व में छठ व्रती पूरी पवित्रता का ख्याल रखते हैं। नहाय खाय के बाद पूजा सामग्री की खरीददारी भी शुरू होती है। आस्था के महापर्व को लेकर घरों से लेकर बाजार तक रौनक बढ़ने लगी है। भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करने के लिए हाट-बाजार, सड़क किनारे में बांस से बने सूप और दउरा की दुकानों पर खरीददारी शुरू भी हो गई है। वहीं कुम्हार इस पूजा में इस्तेमाल होने वाले मिट्टी के हाथी और मिट्टी के कोशी तैयार करने में जुटे है।

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