दीपावली को लेकर बाजार में रौनक, मिट्टी के दिये की बढ़ी मांग
रानीगंज । कोयलाचल शिल्पाँचल में दीपावली कई वर्षों के बाद रौनक देखने को मिल रही है। परंपरागत मिट्टी के दिया और केला पौधे के द्वार से सजाने की परंपरा इस बार अभी से दिखने लगी है। परंपरा के अनुसार रानीगंज शहर में मिट्टी के दियों में सरसों का तेल डालकर दीया जलाने का परंपरा काफी पुरानी रही है। इस बार भी यह परंपरा देखने को मिल रही है बायो सामाजिक कार्यकर्ता विश्वनाथ शराफ ने बताया कि देश कासबसे बड़ा त्यौहार है। यह त्यौहार प्रत्येक वर्ष बड़ी धूमधाम से भारत में मनाया जाता है।
दीपावली का अर्थ होता है “दीप” और ”आवली” अर्थात यह दो शब्दों से मिलकर बना है। दीवारी के यह दोनों शब्द संस्कृत भाषा के शब्द है, जिसका मतलब होता है दीपों की श्रृंखला। दीपावली भारत देश के सभी नागरिकों का खुशियों का त्यौहार है। दीपावली के शुभ अवसर पर प्रत्येक घर में भगवान गणेश और लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। भारत देश के निवासी दीवारी के त्यौहार को किसी अन्य देश में रहने पर भी बड़े धूमधाम से मनाते है।
रानीगंज में लगभग 5 दर्जन सरसों तेल का मिल था और मिट्टी कादिया आसानी से मिल जाया करता था। हिंदू धर्म में मिट्टी के दिया में सरसों तेल डालकर जलाने का विशेष महत्त्व यही वजह रहा कि यहाँ सामूहिक रोबोट रूप से लोग मिट्टी के दिया जलाया करते हैं जब आज रंग बिरंगे बिजली बच्चियों का युग होते हुए भी यहाँ के लोग दीया पर विश्वास रखते हैं। आज भले ही अधिकार सरसों तेल मिल बंद है लेकिन परंपरा का निर्वाह लोग आज भी करते हैं। दीपावली का दिया सामग्री बेचने वाले रौशन का कहना है। इस वर्ष दिया बाबू खूब बिक रहा है पिछले साल से अच्छा बाजार है।

Copyright protected
पश्चिम बंगाल की महत्वपूर्ण खबरें
Quick View
झारखण्ड न्यूज़ की महत्वपूर्ण खबरें
Quick View

