सीमा चौकियों पर मर रहे मवेशी
गौ ज्ञान फाउंडेशन की स्वयंसेविका कविता जैन ने कहा कि भारत-बांग्लादेश सीमा पिछले डेढ़ दशक से, प्रतिदिन भारी संख्या में मवेशियों की तस्करी के लिए कुख्यात रही है। इस अवैध व्यापार से उत्पन्न काले धन का उपयोग हथियारों की तस्करी, नकली मुद्रा व्यापार और यहाँ तक कि इन भेद्य सीमाओं के माध्यम से आतंकवादी गतिविधियों के लिए किया जाता है। सीमा पर हमारे बहादुर जवान इन मवेशियों को बचाने और सीमाओं की रक्षा करने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं किन्तु डीजी बीएसएफ इस कार्यवाही की पूर्ण उपेक्षा कर रहे हैं। वह जवानों द्वारा की गई कड़ी मेहनत की सराहना करना तो दूर, उनके द्वारा बचाए गए मवेशियों के लिए भी कोई प्रावधान नहीं कर रहे हैं।
“डीजी बीएसएफ और उनकी नीतियां, माफिया की हिम्मत बढ़ा रही हैं और सैनिकों का मनोबल गिरा रही हैं,” गौ ज्ञान फाउंडेशन की स्वयंसेविका कविता जैन साझा करती हैं, जो पिछले 3 वर्ष से भी अधिक समय से उत्तर पूर्व भारत में सीमा पार मवेशियों की अवैध तस्करी को रोकने के लिए कार्य कर रही हैं।
एक नजर इन तस्वीरों पर। इन्हें बीएसएफ ने बचाया तो था लेकिन कई दिनों और हफ्तों तक इन्हें चारा पानी ना मिलने के कारण इनकी आंतें तक बाहर आ गई हैं। ऐसा दृश्य देख कर भी डीजी कार्यालय से कोई कार्यवाही नहीं हो रही है।
Copyright protected
पश्चिम बंगाल की महत्वपूर्ण खबरें
Quick View
झारखण्ड न्यूज़ की महत्वपूर्ण खबरें
Quick View