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सालानपुर में चल रहा है बालू का काला साम्राज्य, झारखंड से हो रही है तस्करी

सालानपुर/कल्याणेश्वरी। सालानपुर समेत पश्चिम बर्द्धमान के अन्य क्षेत्रों में बालू इन दोनों मोतियों की भाव बिक रही है, हालांकि मोतियों के बराबर भी मोटी रकम देकर आपको बालू नहीं मिल सकती, अलबत्ता आपकी पहुँच और रूतबा बड़ी है तो 50 हजार की मोटी रकम देकर एक हाइवा बालू खरीद सकते है। इस फेहरिस्त में सबसे बड़ी चुनौती भवन निर्माण के कारीगर और मजदूरों के समक्ष खड़ी हो गई है, फलस्वरूप मजदूरों को विगत 3 महीनों से भूखमरी का सामना करना पड़ रहा है, बालू की किल्लत से क्षेत्र में सरकारी से लेकर गैर सरकारी निर्माण पूर्ण रूप से प्रभावित हो चुकी है। किन्तु आपदा में अवसर तलाशने वालों की कमी नहीं है, बालू के विरुद्ध प्रशासनिक शिकंजा कसने के बाद क्षेत्र में इन दिनों बालू माफिया सक्रिय भूमिका निभा रहे है, भले ही क्षेत्र के किसी भी नदी घाट से बालू नहीं उठ रही हो, ऐसे में झारखंड धनबाद के सिजुआ क्षेत्र से सालानपुर थाना क्षेत्र में बालू की अवैध तस्करी की जा रही है। सूत्र बताते है कि उक्त बालू को धनबाद क्षेत्र से रॉयलटी देकर खरीद जाता है कि चालान पर झारखण्ड से झारखण्ड के मैथन अथवा मिहिजाम ही अंकित किया जाता है, और अपनी मजबूत पकड़ और पहुँच का इस्तेमाल करके बालू तस्कर कल्याणेश्वरी तथा देंदुआ क्षेत्र में स्थित फैक्ट्रियों को 50 हजार प्रति हाइवा बालू धड़ल्ले से उपलब्ध करा रहें है। जिससे प्रतिदिन राज्य सरकार को लाखों रुपए राजस्व का चूना लगाया जा रहा है, और बालू तस्कर मोटी कमाई कर रहे है। सोमवार की देर रात्रि को डीबुडीह चेकपोस्ट पर तैनात कुल्टी ट्रैफिक जवानों ने एक बालू लदा हाइवा डंपर संख्या JH10AZ 1135 को जाँच के लिए रोका गया, जहाँ वाहन चालकों ने बताया कि उनके पास वैध चालान के साथ डंपर अंडरलोड है। बताया जाता है कि इस जाँच के बाद उक्त डंपर को छोड़ दिया गया, किन्तु असल गड़बड़ झाला की बू अब भी आ रही है।

सालानपुर का “पवन” है बालू तस्कर का मुख्य सरगना

सालानपुर थाना क्षेत्र के पवन नामक युवक बालू तस्करी का मुख्य सरगना बताया जाता है, जो बालू की काली कमाई से अकूत संपत्ति का मालिक बन चुका है। सूत्र बताते है कि उक्त गिरोह क्षेत्र के उद्योगपतियों को डंके की चोट पर वैध बालू का हवाला देकर बालू बेचते है। ऐसे में सवाल उठता है कि यदि बालू वैध है तो रात के 2 बजे से सुबह 4 बजे तक ही क्यों बालू लदा डंपर को डीबुडीह बॉर्डर पास किया जाता है, इतना ही नहीं रात्रि 12 बजे से ही एक छोटी गाड़ी देंदुआ मोड़ से डीबुडीह चेकपोस्ट तक रेकी(पेट्रोलिंग) करती रहती है। बताया जाता है कि उक्त बालू तस्कर गिरोह द्वारा नकडाजोड़िया स्थित आसनसोल अलॉय के निकट एक स्टॉक यार्ड भी बनाया गया है, जिसकी भनक आज तक पुलिस को नहीं लग पाना कई सवालों को जन्म देती है। स्थानीय जानकर बताते है कि प्रशासन द्वारा जिन चीजों पर नकेल कसी गई उससे माफियाओं का ही जन्म हुआ है, बंगाल सरकार द्वारा जब आलू पर प्रतिबंध लगाया गया था तब इस डीबुडीह चेक पोस्ट ने यहाँ आलू माफिया को जन्म दिया था और अब बालू बंद होने से बालू माफिया ने जन्म ले लिया है। बहरहाल बालू के इस काले साम्राज्य की तहक़ीक़ात आगे भी जारी है।


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Last updated: सितम्बर 28th, 2021 by Guljar Khan
Guljar Khan
Correspondent : Salanpur/Chittranjan/Barabani (Pashchim Bardhman: West Bengal)
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