हसरतें दिल ने पागल किया, रुख से पर्दा हटाने में क्या देर है, नज़्म पढ़ कर उर्स जहाँगीरी सम्पन
लोयाबाद ऐ हसीं दिल रुबा, दिल नशीं मेहरबान, आज जलवा दिखाने में क्या देर है, हसरतें बीच में दिल ने पागल किया,रुख से पर्दा हटाने में क्या देर है, जब ख़ानक़ाही कव्वाल प्रेम कुमार लोयाबाद में उर्स जहाँगीरी में गया तो पूरा अबुलउलाई सिलसिला के लोग झूमने लगे, कव्वाल ने आज रंग है रीमा, आज रंग है, हर बशर अर्श पर जिन्हें सजदे किए, अब इसके आगे खुदा जाने क्या होगा, अलाउद्दीन अवलिया, मोईनुद्दीन अवलिया, मेरे पीर अवलिया, कलाम पेशकर पूरा माहौल को सूफियाना बना दिया।
इस उर्स जहाँगीरी में खास तौर पर शामिल हुए सज्जादा नशीं ज़ियाउल्लातिफ एवं नाएबे सज्जादा गुलाम यज़दानी ने क्वाला हरबोल पर रश्क करते रहे, प्रेम कुमार एंड पार्टी ने आसनसोल खूब वाहवाही लूटी, गुरुवार सुबह में कार्यक्रम की शुरूआत क़ुरआन की तिलावत से हुई। शिजरा पढ़ा गया। नाते पाक और फिर हजारीबाग के सूफी लालबाबू ने तक़रीर कर लोगों से बुजर्गो के साथ सोहबत करने की नसीहत की। कहा पीर के दामन को ठीक से पकड़कर रखिये, आप इसी के निस्बत से बख्शे जाएँगे। कुंल शरीफ से पहले क़ुरआन खानी, फिर दृदे ताज पेश कर फ़ातेहा ख्वानी हुई। देश के तमाम लोगों के दुआएं मांगी गई, दुआओं के दौरान हाजी अब्दुल कुद्दुस आसवी मरहूम मगफुर के साहबज़ादे गुलाम अरशद इस उर्स को आगे कायम रखने के लिए ख़िलाफ़त से नवाजा गया। हजरत के इस एलान के बाद सभी ने अरशद को गले लगाकर मुबारकबाद पेश किया। बाद लंगर तकसीम किया गया। इस आयोजन में पुरुष व बच्चे के अलावे महिलायेंं भी शामिल हुई थी।
मौके पर मुस्लिम कमीटी के सदर इम्तियाज अहमद, पत्रकार खुर्शीद अकरम, कुणाल चौरसिया, जमीर अंसारी सहित अन्य लोग मौजदू थे, सफल बनाने में सूफी मकसूद आसवी, सूफी अतहर आसवी, सूफी गुलाम गौस आसवी, सूफी जशीम आसवी, सूफी इकबाल आसवी, सूफी गयासुद्दीन आसवी सूफी जाहिद आसवी आदि शामिल थे।

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