खौफ़ और आतंक के साये शर्मसार मानवता
धनबाद/ कतरास । कोरोना ने न सिर्फ आदमी को तबाह कर रखा है बल्कि मानव के अंदर की सोच, इंसानियत को भी उजागर कर दिया है। अस्पताल से श्मसान तक न सिर्फ लाशों की गिनती हो रही है बल्कि इंसानियत भी हर पल दम तोड़ रही है।
कतरास के लिलोरी मंदिर के पास स्थित श्मसान में कोरोना संक्रमित व्यक्ति के शव को छूने वाला भी नहीं मिल रहा था। युवा धर्मेंद्र को मालूम नहीं था कि उसके गुज़रने के बाद अपनापन का ढोंग उसके शव को मुँह चिढ़ाएगा। उसे पता नहीं था कि कोरोना संक्रमण से इंसान के पहले इंसानियत दम तोड़ देगी। बुजुर्ग पिता की आँखों में जवान बेटे की मौत के गम से अधिक था तो तार तार होती आदमियत उसे कचोट रही थी।
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता राकेश रंजन चुन्ना यादव ने जब यह हाल देखा तो उनसे रहा नहीं गया। असहाय पुत्रशोक से तड़प रहे पिता को ढांढस बंधाया। तब जाकर धर्मेंद्र का दाह संस्कार हो पाया। इस कार्य में चुन्ना के दोस्तों ने भी उसकी मदद की। बेबस और लाचार पिता की आँखों में सिर्फ आँसू है। वे टूट गए हैं बेटे की मौत से..उससे भी अधिक आज की सोंच के कारण।

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