साहिबगंज धनतेरस को लेकर गुलज़ार रहा शहर
दीपावली नजदीक आते ही बाजार व गाँव में रौनक दिखने लगी है। सभी दुकानदारों ने अपने दुकानों में रंग -रोगन का कार्य लगभग पूर्ण कर लिया है, और पूजा को लेकर बाजार में विभिन्न सामान को लेकर दुकान सजा दिए हैं। गुरुवार को धनतेरस के दिन लोग दिन भर विभिन्न प्रकार के बर्तन ,सोना -चांदी झाड़ू, आदि सामान खरीदते दिखे। इन सामानों को खरीददारी करना शुभ माना जाता है।
वैश्विक महामारी कोरोना के बावजूद धीरे-धीरे बाजार की रौनक बढ़ने लगी है। धनतेरस और दीवारी की तैयारियों में लोग जुटे दिखे। इस बार धनतेरस का पर्व, 12 को और दीपावली 14 नवंबर को मनाया जा रहा है। मान्यता है कि धनतेरस के दिन खरीदी गई कोई भी धातु की वस्तु फलदायक होता है और उससे घर में सुख-समृद्धि आती है। इधर बाइक एवं विभिन्न प्रकार के वाहनों की अग्रिम बुकिग शुरू कर दी गई है। शो-रूम को आकर्षक ढंग से सजाया जा रहा है। कृषि प्रधान जिला होने के कारण यहाँ ट्रैक्टर की अधिक बिक्री होती है। विभिन्न कंपनियों के ट्रैक्टर धनतेरस के मौके पर बिकता है। इसी प्रकार सैकड़ों बाइक की भी बिक्री होती है। दुकानें रंग-बिरंगी लड़ियों से सजने लगी हैं। दीपावली के नजदीक आ जाने के कारण लोग पूजन सामग्री बनाने के लिए दिनरात मेहनत कर रहे हैं।
कुंभकार दीयों को दे रहे हैं आकार
बाजार एवं जिले के हर चौक चौराहों पर रंग-बिरंगे दीए दुकान में सज गई हैं । लोग खरीददारी भी कर रहे हैं, पर उनकी संख्या काफी कम है । छोटे व्यवसाई कहते हैं कि बाजार में ग्राहक पहुँच रहे हैं पर उनमें क्रय शक्ति की कमी है । बिक्री हो रही है पर पिछले वर्ष से काफी कम है।सबको कोरोना का डर सता रहा है। इधर बाजार में रंगोली के रंगों की दुकानें भी सजी हैं। मिट्टी के दीयों का निर्माण चल रहा है। कुम्हार परिवार दीयों को आकार देने में जुट गए हैं और मार्केट में करीब-करीब हर चौक-चौराहों पर दीयों का बिकना शुरू हो गया है।
एक ठेले पर स्वदेशी झालर,एवं दीपक सजाए राहुल मंडल कहते हैं की कोविड महामारी में सामान बिक्री नहीं हो पा रही है, घर चलाना मुश्किल हो रहा है, लेकिन खुशी है कि इस बार स्वदेश निर्मित झालर, लाइट्ससहित अन्य इलेक्ट्रिक सामानों की बिक्री कर पा रहा हूँ।

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