एक तरफ बसों में बढ़ती भीड़, दूसरी तरफ सुनसान पड़े प्लेटफार्म
करोना महामारी के कारण देश लॉकडाउन की स्थिति में था। देश एवं राज्य अनलॉक की प्रक्रिया से गुजर रहा है, ऐसे में जन-जीवन धीरे-धीरे सामान्य होने की स्थिति में है।
बसों में भीड़ होने के बावजूद लोग सफर करने को मजबूर हैं, सोशल डिस्टेंसिंग का नियम सिर्फ कहने की बातें रह गयी हैं। इस सभी परिस्थिति को देखने के बावजूद भी ट्रेन परिचालन पर केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार अभी किसी भी प्रकार का कोई विचार नहीं कर रही है । लोकल ट्रेन न चलने की स्थिति में लाखों ऐसे कामगार मजदूर की स्थिति बहुत ही खराब हो चुकी है जिनका जीवन और अर्थ पूरी तरह इन लोकल ट्रेनों पर ही निर्भर करता था।
स्टेशन बिरान पड़े हैं ,कुर्सियाँ खाली है ,रेल की पटरी पर जंग लग चुके हैं ,दुकानें सारी बंद है । ऐसी स्थिति में आम नागरिक के साथ-साथ रेल की पटरियाँ तथा प्लेटफार्म भी ट्रेन का इंतजार कर रही हैं ।
वर्तमान समय में भारत फिलहाल अनलॉक की प्रक्रिया से गुजर रहा है और ऐसा कयास लगाया जा रहा है कि सितंबर महीने से रेल परिचालन धीरे-धीरे खुलने लगेगी । करोना की स्थिति और आंकड़े इस बात की भले ही गवाही ना दे लेकिन भारत की रिकवरी रेट और मृत्यु दर की कमी इस बात की ओर संकेत अवश्य दे रहे हैं कि बहुत जल्द ही ट्रेन परिचालन शुरू हो जाएगी।
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