१२९ वीं पुण्यतिथि तिथि पर पंडित ईश्वरचंद्र विद्यासागर को पश्चिम बंगाल,झारखण्ड,बिहार तथा नई दिल्ली के शिक्षाविदो ने स्मरण किया
मधुपुर। १२९ वीं पुण्यतिथि तिथि पर पंडित ईश्वरचंद्र विद्यासागर को शिक्षाविदो ने स्मरण किया कार्यक्रम के उद्धाटन मुक्ता काश मंच की ओर से रिंकु बनर्जी अध्यक्षा लायंस क्लब रांची ने विद्यासागर के तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर अपने संक्षिप्त वक्तव्य रखते हुए कहि के विद्यासागर बंगाला साहित्य के जनक थे।उन्होंने बंगाला भाषा तथा साहित्य के जड़ को मजबूती प्रदान की। तत्पश्चात शिक्षाविदो में पश्चिम बंगाल के हुगली जिले चुंचडा निवासी शिक्षाविद सोमनाथ चटर्जी ने कहा उनके दृढ़ संकल्प, कोमल हृदय और मेहनत करने की क्षमता उन्हें असाधारण व्यक्तित्व के रूप में बदल दिया।
पटना से तृषा पाल,मैत्रेई भट्टाचार्य तथा कल्याणी राय ने अपने सम्बोधन में कहीं कि पंडित ईश्वरचंद्र विद्यासागर एक महान समाज सुधारक थे। नारी शिक्षा में अग्रणी भूमिका निभाई। लाख विरोध के बावजूद विधवा विवाह कानुन पास करवा कर समाज में विधवाओं के जीवन को नए तरीके से ज़ीने का हक दिलाया।झारखण्ड रांची से शिक्षिका सुपर्णा चटर्जी तथा डाःआशीष कुमार सिन्ह ने कहा विद्यासागर मात्र एक युग के लिए नहीं बल्कि हमेशा और सर्वकालीन।
विद्यासागर का मतलब माँ तथा मातृभाषा। नई दिल्ली से डालिया मुखर्जी ने कहा विद्यासागर सिर्फ बंगाली समाज के नहीं वे तो भारत देश के गौरव है। इस तरह सारे शिक्षाविदों ने अपने अपने तरीके से पंडित ईश्वरचंद्र विद्यासागर को स्मरण कर रवीन्द्रनाथ टैगोर की वाणी जो उन्होंने विद्यासागर के लिए कहीं थी के “ ईश्वर (भगवान) ने चार कड़ोर बंगाली बनाते बनाते एक ईश्वर कैसे बना दिए”? धन्यवाद ज्ञापन करते हुए नईं दिल्ली की बंगाला साहित्यिका भाषाविद जयश्री रे ने कहीं विद्यासागर आज भी हमारे जीवन में उतनी ही महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व है जितना दो शो साल पहले थे। इस पुण्यतिथि के कार्यक्रम को सफलतापूर्वक संचालन विद्रोह कुमार मित्रा ने कि है।

Copyright protected
झारखण्ड न्यूज़ की महत्वपूर्ण खबरें
Quick View
पश्चिम बंगाल की महत्वपूर्ण खबरें
Quick View
सुविधाओं की कमी से श्रद्धालुओं में रोष: बर्नपुर घाट पर अव्यवस्था का आलम
Quick View
Quick View

