रेलवे के फाटक सील करने से उग्र हुये ग्रामीण , अनवरत विरोध पर हुये उतारू
आसनसोल : पश्चिम बंगाल के आसनसोल के बाराबनी विधानसभा क्षेत्र के चिंचुड़िया रेलवे स्टेशन के पास रेलवे लाइन पर सैकड़ों की संख्या में जुट कर ग्रामीण विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं । ग्रामीणों का आरोप है कि पश्चिम बंगाल , झारखण्ड के साथ ही साथ बाराबनी इलाके के दर्जनों गाँवों को जोड़ने वाली मुख्य सड़क को रेलवे ने सील कर दिया है।
ग्रामीणों का आरोप है कि रेल प्रबंधन की ओर से करीब 15 दिन पहले आसनसोल के बाराबनी इलाके के चिंचुड़िया स्थित एक रेल फाटक को पूरी तरह से बन्द कर दिया गया है।
इस रेल फाटक से होकर गुजरने वाली सड़क आसनसोल शहर से बाराबनी इलाके के दर्जनों गाँवों को जोड़ने के साथ ही साथ झारखंड को भी जोड़ती है। लेकिन रेल प्रबंधन ने रातों-रात यहाँ रेलवे फाटक पर लोहे की बैरिकेडिंग लगाकर उसे पूरी तरह से सील कर दिया गया है।
इस सड़क के बंद होने के बाद आसपास के हजारों लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। लोग न तो पानी लेने दूसरी तरफ जा पा रहे है और न ही अपने खेतों तक पहुँच पा रहे है।
ग्रामीणों ने बताया कि आसनसोल रेल डिवीजन के डीआरएम, पश्चिम बर्द्धमान जिला के जिला शासक समेत कई अन्य अधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर इस रास्ते को पुनः खोलने की मांग की गयी। लेकिन जब उनकी मांगों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई तो बाध्य होकर मंगलवार सुबह से उन लोगों ने रेल अवरोध का यह फैसला किया।
मंगलवार सुबह से ही सैकड़ों की संख्या में महिला और पुरुष ग्रामीण यहाँ चिंचुड़िया के पास पहुँचे और जिस जगह पर रेलवे लाइन के बाहर सड़क को सील किया गया है वहाँ रेलवे लाइन के बीचो-बीच बैठकर अनवरत विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया ।
ग्रामीणों का कहना है कि जब तक रेल प्रबंधन द्वारा इस रास्ते को नहीं खोला जाता तब तक वे लोग लगातार यहाँ आंदोलन करेंगे।
ग्रामीणों ने अपने इस प्रदर्शन को और लंबा खींचने के लिए प्रदर्शन स्थल पर ही खाना-पीना तक बनाना शुरू कर दिया है।
घटना की सूचना मिलने के बाद बाराबनी थाना अधिकारी भी मौके पर पहुँचे और लोगों को समझाने का प्रयास किया लेकिन लोग अपनी मांगों पर अडिग हैं।
स्थानीय लोगों मानें तो करीब 15 दिन पहले इस सड़क पर बैरिकेडिंग लगाई गई थी । इसके बाद ग्रामीण लगातार इसे खोलने की मांग को लेकर दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई । बाध्य होकर ग्रामीणों ने रेल अवरोध का यह रास्ता अख्तियार किया।
इस मामले में अभी तक किसी रेलवे या प्रशासनिक अधिकारी का कोई बयान सामने नहीं आया है और ग्रामीणों का विरोध प्रदर्शन जारी है ।
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