न कोई पेंशन , न कोई सरकारी मदद , लॉकडाउन ने आत्मनिर्भर दिव्याङ्ग को बना दिया मजबूर
(लोयाबाद-धनबाद , झारखंड ) । चाय दुकान बंद और पेंशन भी बन्द। कैसे भरेगा पेट और कैसे पलेगा परिवार , वक्त फाकाकशी से गुजर रहा है। ये दास्तां है पाँव से लाचार दो विकलांग दोस्तों की।
लोयाबाद थाना क्षेत्र एकड़ा के रहने वाले मिठू कुमार स्वर्णकार व जब्बार कुरैशी पाँव से लाचार तो थे ही अब इस लॉकडाउन में लाचारी की ज़िंदगी जीने को मजबूर हो गए । मिठू ,चार बेटी और एक बेटे का बाप है। मिठू पाँव से लाचारी के बावजूद भी आत्मनिर्भर की जिंदगी जी रहा था पर इस लॉकडाउन ने मजबूर बना दिया।
घर के पास वह चाय पान की दुकान चलाकर परिवार को पाल रहा था। इस लॉकडाउन ने दो वक्त की रोटी के लिए हाथ फैलाने के लिए मजबूर कर दिया है।
यही हाल उसके दोस्त कुरैशी का भी है । वह भी एक पाँव से लाचार है। जुबैर कुंवारा है पर वो भी अपने दोस्त मिठू की तरह चाय की दुकान चलाकर कर परिवार की मदद किया करता था।
दोनों ने बताया कि इस लॉकडाउन में लाचारी दोगुनी महसूस हो रही है। कोई सरकारी सहायता नहीं मिल रहा। साल 2016 से पेंशन भी बन्द है। लॉकडाउन से पहले दोनों दोस्त अपनी-अपनी दुकान चलाकर बेरोजगारों के लिए एक आदर्श बनकर मिसाल बने हुये थे ।
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