कब्रिस्तान में चारदीवारी नहीं होने और पशुओं के चारागाह बनने से लोगों की नाराजगी
बरवाअड्डा, चरकपत्थर, धनबाद। बरवाअड्डा के चरकपत्थर, मुर्राडीह कब्रिस्तान की चारदीवारी नहीं होने से यहाँ के मुस्लिमों में काफी नाराजगी है । करीब 50 साल पुराने इस कब्रिस्तान की अब तक घेराबंदी नहीं कि गयी है और यह पशुओं का चरागाह बना हुआ है जिससे लोग नाराज हैं । चरकपत्थर मस्जिद के ठीक पीछे अवस्थित यह कब्रिस्तान पूरी तरह से खुला हुआ है और लगभग खेत में स्थित है । खुला हुआ होने के कारण जानवरों की खुला रूप से आवाजाही होती रहती है, जिससे उसके पैरों के खुर कब्रिस्तान के कब्रों पर पड़ते हैं। इस्लामिक मान्यता के अनुसार इससे मुर्दों को तकलीफ होती है।
धार्मिक मामलों के जानकार ग़ुलाम ग़ौस आसवी बताते हैं कि कब्र से एक तिनका तोड़ देना भी मुर्दों के लिए तकलीफ का सबब बन जाता है। यहाँ तो जानवरों के खुर के नीचे कब्रों को रौंदा जा रहा है। यहाँ जानवरों की चारागाही कब्रिस्तान में की जाती है। उन्होंने कहा कि मुर्दों के प्रति ऐसी अमानवीयता दुःख की सीमा से परे की बात है।
करीब 50 साल पुराने इस कब्रिस्तान की तरफ न तो वहाँ के किसी प्रतिनिधि का ध्यान गया है, न तो किसी संगठन या संस्थान ने ही इसकी दशा को सुधारने की पहल की है। पानी के बहाव के कारण कई कब्रों की मिट्टी कट गई है। कब्रों को आवारा कुत्ते अपनी शरण स्थली बना रहे हैं, कुछ को खोलने की भी कोशिश करते हैं।
हालांकि कब्रिस्तान और श्मशान घाट की दशा को सुधारने के लिए, चारदीवारी के निर्माण, पुनर्निर्माण और सौन्दर्यीकरण के लिए करोड़ों रुपये सांसद और विधायक व नगरनिगम मद से प्रतिवर्ष आवंटित किए जाते हैं, लेकिन उन का लाभ इस कब्रिस्तान को नहीं मिल पा रहा है जिससे यहाँ के लोगों में नाराजगी है।

Copyright protected
झारखण्ड न्यूज़ की महत्वपूर्ण खबरें

Quick View