हिन्दी बोलने और लिखने में अपनापन महसूस होता है – जीतेन वर्मा

हिन्दी दिल की भाषा और अपनी संस्कृति को याद दिलाने वाली भाषा है। इसे बोलने और लिखने में अपना-पन महसूस होता है। उक्त बातें पांडेश्वर क्षेत्र में आयोजित हिंदी कार्यशाला में ईसीएल राजभाषा के अधिकारी जितेन कुमार वर्मा ने कही। उन्होंने कहा कि हिंदी में हम कार्य करना नहीं चाहते है, लेकिन अगर हम हिंदी में लिखना शुरू करे तो सब कार्य आसान हो जायेगा।
जबकिं बंगाल में एक रिपोर्ट के अनुसार आबादी के आधा से ज्यादा लोग हिंदी बोलना जानते है और समझते भी है, लेकिन ईसीएल कार्यालय में हम अग्रेजी को प्राथमिकता देते है और पत्र भी अग्रेजी में जारी करते है। उन्होंने कहा कि अग्रेजी की जानकारी होनी अच्छी है, लेकिन अग्रेजी का गुलाम बन जाना गलत है।
राजभाषा अधिकारी ने कार्यशाला में भाग ले रहे सोनपुर बाजारी केन्दा और कुनुस्तोरिया क्षेत्र को हिंदी में ज्यादा से ज्यादा कार्य करने के लिये अधिकारियों -कर्मियों को प्रोत्साहित किया। सोनपुर बाज़ारी के कार्मिक प्रबंधक पीके श्रीवास्तव ने हिंदी में कार्य करने की नीति को बढ़ावा देने की बात कही।
पांडेश्वर क्षेत्र के कार्मिक प्रबंधक मंजूर आलम नजरुल इस्लाम ने हिंदी के विकास पर बल दिया। नोडल अधिकारी राजभाषा फनिद्र सिंह ने कार्यालय में कर्मियों को हिंदी में कार्य करने के लिये ज्यादा से ज्यादा पत्र लेखन की बात कही। कार्यशाला में 75 प्रतिभागियो ने हिस्सा लिया ।

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