माझेरहाट पुल दुर्घटना के कारण झारखंड सीमा पर फिर हो सकती है वैसी ही दुर्घटना
बड़ी ही पुरानी कहावत है, बेटा की चाहत में कही पति न गवां दे, यह कहावत आज पश्चिम बंगाल सरकार पर सटीक बैठती नज़र आ रही है, हालाँकि इस कहावत से झारखण्ड प्रशासन भी परे नहीं है । बीते 4 अगस्त को कोलकाता में माझेरहाट पुल दुर्घटना के बाद सरकार के आदेश से बंगाल में 20 चक्का वाहनों पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है ।
पश्चिम बंगाल में भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक
बंगाल प्रशासन डिबूडीह चेकपोस्ट बॉर्डर पर चील की तरह वाहनों पर नज़र गड़ाए बैठी है, और भारी वाहनों को प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है। दूसरी ओर मैथन और निरसा क्षेत्र में झारखण्ड पुलिस ने भी वाहनों को लताड़ने में कोई कसर बाकि नहीं छोड़ी। दो राज्यों की लताड़ के बाद वाहनों चालकों को और कोई विकल्प नज़र नहीं आया । फलस्वरूप बंगाल और झारखण्ड को जोड़ने वाली दामोदर नदी पर राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा बनाये गए विशालकाय पुल पर 20 चक्का से ऊपर जितने भी वाहन थे उनकी कतार लग गयी जिससे पुल पूरा खचाखच वाहनों से भर गया ।
खतरे में बंगाल-झारखंड को जोड़ने वाली पुल
बंगाल से लेकर झारखण्ड तक के किसी भी अधिकारी को इस पुल की चिंता नहीं सताई। जहाँ कोलकाता में एक पुल टूट जाने से बंगाल सरकार में भूचाल आ गयी ऐसे में यदि इस पुल को कुछ हो जाये तो समस्या कल्पना से भी परे होगी । पुल पर लगे वाहनों के कारण इस पुल में निरंतर कम्पन हो रही थी मानों जैसे भुकप्म आई हो। आन्दोलन नियम कानून अपनी जगह, सरकार का आदेश सर आँखों पर, किन्तु अगर इस पुल को भी हम खो दें तो आरोप प्रत्यारोप का सगुफा छोड़कर और कुछ भी प्राप्त नहीं होने वाला ।
स्वर्णिम चतुर्भुज योजना के तहत बनी है यह पुल
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी की स्वर्णिम चतुर्भुज योजना के समय बनी यह पुल भी जगह-जगह से ख़राब हो चुकी है, जिसे राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के कर्मचारियों द्वारा समय-समय पर मरम्मत किया जाता है । ऐसे में दोनों राज्य के प्रशासनिक अधिकारी यदि सचेत होकर इस पुल की संरक्षण नहीं करते है, तो भारी वाहनों के कारण यहाँ भी माझेरहाट कोलकाता की स्थिति उत्पन्न हो सकती है ।
फोटो : कौशिक मुखर्जी
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