छापेमारी में मिली डायरियों से अफ़सरों की मिलीभगत और अवैध वसूली (Extortion) के रैकेट का पर्दाफाश
कोलकाता/दुर्गापुर/धनबाद(गुलज़ार खान) प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अवैध कोयला खनन और तस्करी के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाइयों में से एक को अंजाम दिया है। शुक्रवार (21 नवंबर) को पश्चिम बंगाल और झारखंड में एक साथ 44 ठिकानों पर की गई छापेमारी में ED ने 14 करोड़ रुपये से अधिक की नकदी और जेवर बरामद किए हैं। इस दौरान 100 से अधिक ED अधिकारियों और CRPF के जवानों ने मिलकर इस सिंडिकेट की कमर तोड़ दी है।
कोयला माफिया के नेटवर्क का भंडाफोड़
ED द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, यह कार्रवाई ‘धन शोधन निवारण अधिनियम’ (PMLA), 2002 के तहत की गई। जांच में खुलासा हुआ है कि पश्चिम बंगाल और झारखंड की सीमा पर एक संगठित गिरोह (सिंडिकेट) सक्रिय है, जो बिना किसी वैध दस्तावेज के कोयले की तस्करी कर रहा था। छापेमारी के दौरान बरामद डायरी और रजिस्टर से स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत और अवैध वसूली के सबूत भी मिले हैं।
कहाँ-कहाँ पड़े छापे?
झारखंड: धनबाद और दुमका में 20 परिसरों पर तलाशी ली गई। ये ठिकाने मुख्य रूप से लाल बहादुर सिंह, अनिल गोयल, संजय खेमका और अमर मंडल जैसे कोयला कारोबारियों से जुड़े हैं।
पश्चिम बंगाल: दुर्गापुर, पुरुलिया, हावड़ा और कोलकाता में 24 ठिकानों पर रेड पड़ी। यहाँ नरेंद्र खरका, कृष्ण मुरारी कयाल, युधिष्ठिर घोष और अन्य के आवास, दफ्तर, कोक प्लांट और अवैध टोल बूथों को खंगाला गया।
बरामदगी और सबूत
तलाशी के दौरान ED को भारी मात्रा में आपत्तिजनक दस्तावेज मिले हैं, जिनमें कोयला सिंडिकेट की संपत्तियों के कागज और जमीन खरीद-बिक्री के एग्रीमेंट शामिल हैं। इसके अलावा, 14 करोड़ रुपये से ज्यादा की नकदी और सोना जब्त किया गया है। कई डिजिटल उपकरणों और बही-खातों को भी जांच के लिए जब्त किया गया है।
ED ने साफ किया है कि यह कार्रवाई पुलिस द्वारा दर्ज कई एफआईआर (FIRs) के आधार पर की गई है, जो इस बात की पुष्टि करती हैं कि दोनों राज्यों के बीच अवैध कोयले का यह काला कारोबार बड़े पैमाने पर चल रहा था।

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