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मैथन में साँपों का आतंक चरम पर: दो शिकार, एक की मौत

कल्यानेश्वरी (गुलज़ार खान)। मैथन डैम के निकट मनमोहक पहाड़ों और वादियों में विषधर साँपों की जनसंख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, जिससे रिहायशी इलाकों में दहशत फैल गई है। कल्यानेश्वरी, लेफ्ट बैंक, होदला, बथानबाड़ी, और मैथन डैम तक फैला यह विशाल जंगल ‘होदला बिट फारेस्ट’ के अंतर्गत आता है।

जानकारों के अनुसार, बीते तीन वर्षों में इस जंगल में साँपों की आबादी तेज़ी से बढ़ी है, जिनमें अजगर, करैत, कोबरा, और धामन जैसी कई प्रजातियाँ शामिल हैं।

​बढ़ती आबादी का मुख्य कारण
​साँपों की संख्या में लगातार वृद्धि का प्रमुख कारण यह बताया जा रहा है कि इस क्षेत्र से लगभग 10-15 किलोमीटर दूर-दूर इलाकों से साँपों को रेस्क्यू करके लगातार मैथन के जंगलों में छोड़ा जा रहा है, क्योंकि यह इलाका ही आसपास का सबसे बड़ा जंगल है।
​नतीजतन, अब लेफ्ट बैंक, कल्यानेश्वरी, जामिरकुड़ी, अजितेशनगर और मैथन डैम के रिहायशी इलाकों के घरों में साँपों का घुसना एक रोज़मर्रा की घटना बन गया है।
​साँपों का आतंक: दो लोगों पर हमला, एक की मौत
​स्थानीय लोगों के दावे के विपरीत कि पहले कभी साँप ने नहीं काटा, हाल की घटनाओं ने लोगों को डरा दिया है:

पहली घटना (जुलाई): मैथन डैम में दुकान संचालक शंभू देवनाथ की गर्भवती पत्नी पूर्णिमा देवनाथ को रात के अंधेरे में बिस्तर पर करैत साँप ने काट लिया। उन्हें आसनसोल जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ चिकित्सकों ने माँ और नवजात शिशु, दोनों की जान बचाई।

दूसरी घटना (अक्टूबर): लेफ्ट बैंक के 25 वर्षीय बाप्पी मिर्धा को भी बिस्तर पर साँप ने काटा। दुर्भाग्यवश, जिला अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।

तीसरी घटना (मंगलवार): आतंक की तीसरी घटना में, आसनसोल दुर्गापुर पुलिस कमिश्नरेट द्वारा मैथन डैम के निकट संचालित इंटरस्टेट पुलिस चेकपोस्ट के कक्ष में अचानक एक विषधर कोबरा घुस गया। गनीमत रही कि पुलिसकर्मी और सिविक वोलेंटियर बाल-बाल बच गए।

जनता की मांग और चेतावनी
​क्षेत्र की जनता अब मैथन के जंगल में अनाधिकृत रूप से साँपों को छोड़ने पर अंकुश लगाने की मांग कर रही है। लोगों का कहना है कि वन विभाग को साँप नियंत्रण के लिए तत्पर रहना चाहिए और जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है।

​पर्यावरणविदों की राय: हम ही साँप के घर में घुसे
​कुछ जानकारों और पर्यावरण प्रेमियों का मानना है कि पिछले 20 वर्षों में इस क्षेत्र में घर निर्माण और अतिक्रमण में भारी वृद्धि हुई है, जिससे जंगल सिकुड़ रहा है। उनका तर्क है, “कुल मिलाकर, साँप हमलोगों के घर नहीं, हम लोग ही साँप के घर में घुस गए हैं।”

​वन विभाग का सख्त रुख
​वन विभाग भी समय-समय पर रेस्क्यू किए गए साँपों को इन जंगलों में छोड़ता है, लेकिन होदला फारेस्ट बिट इंचार्ज, सरबन्ति घोष, ने अनाधिकृत रूप से प्राइवेट रेस्क्यू टीम और आम लोगों द्वारा जंगल में साँप छोड़ने को गलत बताया है। उन्होंने कहा:
​साँप मिलने पर इसकी सूचना वन विभाग को दें।
​रेस्क्यू किए गए साँप को कहाँ और कैसे छोड़ना है, यह वन विभाग तय करता है।
​”किसी भी प्रकार से जंगल में साँप पकड़ना अथवा छोड़ना दण्डनीय अपराध है।”

Last updated: अक्टूबर 29th, 2025 by Guljar Khan
Guljar Khan
Correspondent : Salanpur/Chittranjan/Barabani (Pashchim Bardhman: West Bengal)
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