धनबाद में अवैध लॉटरी का फैला मकड़जाल
लॉटरी: ग़रीबी के सपनों का जाल या विनाश की ओर ले जाती राह |
झरिया (धनबाद) – कोयले की आग में झुलसती ज़िंदगी और रोज़मर्रा की मजदूरी के संघर्ष के बीच अब एक और ‘खदान’ गरीबों को निगल रही है – लॉटरी। यह कोई आम खेल नहीं, बल्कि सपनों की आड़ में चलने वाला आर्थिक और मानसिक शोषण है, जिसने कोलांचल की ज़मीन पर गहरी जड़ें जमा ली हैं। बताया जा रहा है कि नागालैंड सरकार के नाम पर चलने वाली लॉटरी का ड्रॉ कोहिमा (नगालैंड) में निकाला जाता है। लेकिन स्थानीय लोगों के अनुसार, झारखंड के किसी भी व्यक्ति को आज तक इस लॉटरी में बड़ा इनाम नहीं मिला। इससे यह संदेह और भी गहरा हो जाता है कि क्या यह लॉटरी सच में वैध है या सिर्फ गरीबों को लुभाने और लूटने का एक जाल? स्थानीय लोगों का आरोप है कि झारखंड में बिकने वाली अधिकांश लॉटरी टिकटें नकली होती हैं, जिन्हें कभी नाम बदल कर तो कभी पुराने ड्रॉ की तर्ज पर बेच दिया जाता है। इन टिकटों के नाम पर गरीब तबके के लोग – जैसे टेंपो चालक, सैलून संचालक, चिकन दुकानदार, राजमिस्त्री, ठेका मजदूर आदि – अपने खून-पसीने की कमाई गंवा रहे हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह सब प्रशासन और स्थानीय पुलिस की जानकारी में होने के बावजूद लॉटरी का खेल लगातार फल-फूल रहा है। ऐसा प्रतीत होता है मानो सब कुछ मिलीभगत से हो रहा हो। लॉटरी, जो कभी सपनों को हकीकत में बदलने का वादा करती है, आज गरीबों के लिए एक ऐसा फंदा बन चुकी है जिससे निकलना मुश्किल हो रहा है। यह सिर्फ एक सामाजिक बुराई नहीं, बल्कि एक सुनियोजित ठगी है – और इसे रोकना अब बेहद जरूरी हो गया है। जिले में अवैध लॉटरी कारोबार पर लगाम लगाने को लेकर समाजसेवियों और जागरूक नागरिकों ने कई बार आवाज़ उठाई। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जिला प्रशासन, पुलिस और अन्य संबंधित अधिकारियों को दर्जनों आवेदन सौंपे और आंदोलन व विरोध-प्रदर्शन भी किए। लेकिन अफसोस की बात यह है कि तमाम प्रयासों के बावजूद लॉटरी माफिया आज भी पूरी ताकत से सक्रिय हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि लॉटरी के इस अवैध धंधे में प्रशासन के कुछ लोगों की मिलीभगत या उदासीनता भी सामने आ रही है। यही कारण है कि बार-बार शिकायत के बावजूद भी ना तो छापेमारी होती है और ना ही कोई ठोस कार्रवाई। लॉटरी के आदी हो चुके लोग हर दिन अपनी मेहनत की कमाई इस झूठे सपने में झोंक रहे हैं। यह लत सिर्फ जेब नहीं काट रही, बल्कि कई परिवारों को आर्थिक और मानसिक रूप से तबाह कर चुकी है। झारखण्ड का कोलांचल खास कर झरिया,जामाडोबा, भूली, सिंदरी, गोविंदपुर जैसे क्षेत्रों में तो यह धंधा खुलेआम हो रहा है।इतना ही नहीं, कुछ बाजारों में लॉटरी टिकट खुलेआम बेचे जा रहे हैं, और जो इसके खिलाफ आवाज़ उठाता है, उसे या तो डराया जाता है या नजरअंदाज कर दिया जाता है।
संवाददाता – शमीम हुसैन

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