मैथन डैम में नहीं है पानी और डीवीसी लगी है बहाने
गुलज़ार खान(कल्यानेश्वरी)। एक बहुत ही पुरानी कहावत है, घर मे नही है दाने और अम्मा चली भुनाने, बिल्कुल ऐसा ही परिदृश्य आज मैथन डैम का है, मैथन डैम में नही है पानी और डीवीसी प्रबंधन लगी है बहाने।
अलबत्ता यह वही समय है जब मैथन डैम का संचय किया हुआ जल से सालों भर सिचाई, (बंगाल झारखंड के लिए) पेयजल समेत बिजली का उत्पादन किया जाता है। मैथन डैम का अधिकतम जल रखाव क्षमता 495 फिट है, जबकी वर्तमान में मंगलवार को मैथन डैम का जलस्तर 471 फिट था, यानी अभी 24 फिट पानी कम है, यह 24 फिट पानी को किसी भी सूरत में एक दो दिन में भरा नही जा सकता है, इसके लिए पूरा एक बरसात लगता है, किन्तु डीवीसी प्रबंधन लगातार जल प्रवाह कर रहा है, जिससे डैम का जलाशय का दृश्य सुखाड़ जैसी हो गयी है।
निरंतर हो रही वर्षा के बाद आसपास के लोग प्रतिदिन मैथन डैम का भरा हुआ जलाशय देखने को पहुँच रहें है, किन्तु लोगों को यहाँ सूखा हुआ डैम का ही दिदार हो रहा है। फ़िलहाल डीवीसी प्रबंधन ऐसा क्यों कर रहा है यह संसय बना हुआ है। मंगलवार को मैथन डैम में 17973 एकड़ फ़ीट पानी जमा हो रहा था, और डैम से 19854 एकड़ फ़ीट पानी छोड़ा जा रहा था। यानी की 1881 एकड़ फ़ीट अतिरिक्त पानी छोड़ा गया। कुल मिलाकर आमदनी अठन्नी और खर्चा रूपया वाली बात है। हालांकि कुछ जानकर लोगों का आरोप है की यह पूरा खेल किसी को लाभ पहुँचाने के लिए खेला जा रहा है, मैथन डैम थर्ड डाइक स्थित पीएचई विभाग द्वारा पेयजलापूर्ति के लिए पानी के बीचो-बीच इंटेक वेल का निर्माण तेज गति से किया जा रहा है, अगर पानी डैम में पूरा भर गया तो यह निर्माण कार्य पूर्ण रूप से ठप हो जाएगा, हालांकि यह संयोग है या प्रयोग इससे अभी पर्दा नही उठा है।
मामले को लेकर डीवीसी सूचना जनसंपर्क अधिकारी अरविंद कुमार सिंह से पूछने पर उन्होंने कहा कि मैथन डैम का पूरा जल नियंत्रण केंद्रीय जल आयोग(सीडब्ल्यूसी) के पास के कितना पानी छोड़ना से कितना रखना है इसका पूरा निर्णय उनके द्वारा ही लिया जाता है। डीवीसी प्रबंधन इस प्रक्रिया में सिर्फ आदेश का पालन करती है।

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