मेरी बात — माँ का आँचल, माँ कभी वापस नहीं आती हैँ,– अरुण कुमार लेखक सह पत्रकार
मेरी बात — माँ का आँचल — लेखक सह पत्रकार, अरुण कुमार
माँ जाने के बाद कभी वापिस नहीं आती, यह बात उतनी ही सत्य हैँ जितनी की पृथ्वी पर सूर्य की रोशनी,और यह वो समय होता हैँ जब की हमारा जन्म माँ की कोख से होकर इस धरातल पर उतर कर आता हैँ उम्र एक वर्ष तक तो कुछ भी याद नहीं रहता हैँ जबकि याद अगर करना चाहें तो आप अपने उस एक वर्ष के बच्चे को देखकर भी कर सकते हैँ उसी में आपको अपना बचपन दिखाई देगा की कैसे एक माँ ने आपको संभाला होगा, खैर मुद्दे से भटकने की जरुरत नहीं हैँ
उम्र दो साल मम्मा कहाँ है ? मम्मा को दिखा दो, माँ को देख लूँ, मम्मा कहाँ गयी ?.वगैरा वगैरा
उम्र – चार साल — मम्मी कहाँ हो ? मैं स्कूल जाऊँ ? अच्छा मुझे आपकी याद आती है स्कूल में.मैं अब पढ़ाई नहीं करूँगा नहीं तो आप भी मेरे साथ स्कूल चलो
फिर माँ काफी समझाती हैँ कि बेटा स्कूल आपके लिए हैँ मेरा स्कूल में किया काम मैं आउंगी
उम्र – आठ साल मम्मा, लव यू, आज टिफिन में क्या भेजोगी ? मम्मा स्कूल में बहुत होम वर्क मिला है.फिर माँ समझाती हैँ बेटा पढ़ाई अच्छे से करो तब सब सही रहेगा बहुत कुछ माँ झेलती हैँ अब समय आता हैँ अल्हड़पन का
उम्र – बारह साल* — पापा, मम्मा कहाँ है ? स्कूल से आते ही मम्मी नहीं दिखती, तो अच्छा नहीं लगता..पुनः एक बार फिर से वहीँ बच्चा माँ की गोद में आने को लालायित रहता हैँ मानो जैसे कि माँ ही सबकुछ हो अब आती हैँ
उम्र – चौदह साल* — मम्मी आप पास बैठो ना, खूब सारी बातें करनी है आपसे.एक बार फिर से आँखों में चमक माँ पापा से ढेर सारी बातें करना बहुत सी बातों को शेयर करना अब आती हैँ
उम्र – अठारह साल* — ओफ्फो मम्मी समझो ना, आप पापा से कह दो ना, आज पार्टी में जाने दें..वहीँ बच्चा अब बड़ा जो हो रहा होता हैँ या ये कहे कि बड़ा हो गया हैँ वो भी काफी बड़ा अब उसका बोलने का तरीका जो बदल रहा हैँ फिर बात आती हैँ
उम्र – बाईस साल* — क्या माँ ? ज़माना बदल रहा है, आपको कुछ नहीं पता, समझते ही नहीं हो…फिर वहीँ बच्चा माँ को ही उल्टा समझाने जो लगता हैँ कि माँ ऐसे नहीं वैसे इसको आप समझते नहीं हो फिर समय आती हैँ,उम्र – पच्चीस साल* — माँ, माँ जब देखो नसीहतें देती रहती हो, मैं कोई दुध पीता बच्चा नहीं..जो कि तुम्हारी सारी बातें मानूँगा ऐसे नहीं होगा कि तुम जो कहो वहीँ सही हो फिर समय आती हैँ
उम्र – अठाईस साल* — माँ, वो मेरी पत्नी है, आप समझा करो ना, आप अपनी मानसिकता बदलो..आपकी ही सरासर गलती हैँ मेरी पत्नी गलत हो ही नहीं सकती हैँ कि आप सारा का सारा दोष उस पर ही मढ दो आप शांति से रहा करें और हमें भी शांति से रहने दें फिर समय आती हैँ
उम्र – तीस साल* — माँ, वो भी माँ है, उसे आता हैं बच्चों को सम्भालना, हर बात में दखलंदाजी नहीं किया करो.जब तब तुम ज्यादा बोल देती हो तुम्हे तो कुछ जानकारी भी नहीं हैँ कि कैसे घर परिवार चलता हैँ और कैसे इसे चलाना चाहिए कुछ समझ के काम तुमको करना चाहिए और उस के बाद, माँ को कभी पूछा ही नहीं। माँ कब बूढ़ी हो गयी, पता ही नहीं उसे। माँ तो आज भी वहीँ माँ हैं, बस उम्र के साथ बच्चों के अंदाज़ बदल जाते हैं.और बदल गए हैँ फिर समय
उम्र – पचास साल* — फ़िर एक दिन माँ, माँ चुप क्यों हो ? बोलो ना, पर माँ नहीं बोलती, खामोश हो गयी..माँ, दो साल से पचास साल के, इस परिवर्तन को समझ ही नहीं पायी, क्योंकि माँ के लिये तो पचास साल का भी प्रौढ़ भी, बच्चा ही हैं, वो बेचारी तो अंत तक, बेटे की छोटी सी बीमारी पर, वैसे ही तड़प जाती, जैसे उस के बचपन में तडपती थी।
और बेटा, माँ के जाने पर ही जान पाता है, कि उसने क्या अनमोल खजाना खो दिया.जबकि माँ की कमी ना कोई भर सका हैँ ना भर पाता हैँ जबकि कुछ लोग स्वयं में काफी परिपक्व होकर काफी समझदार जो हो गए होते हैँ वे भी माँ को माँ की संज्ञा देने में कतरा रहे होते हैँ ज़िन्दगी बीत जाती है, कुछ अनकही और अनसुनी बातें बताने कहने के लिए, माँ का सदा आदर सत्कार करें, उन्हें भी समझें और कुछ अनमोल वक्त उनके साथ भी बिताएं, क्योंकि वक्त गुज़र जाता है, लेकिन माँ कभी वापिस नहीं मिलती.और जिंदगी की इस सच्चाई से आप किया कोई भी मुँह नहीं मोड़ सकता हैँ क्योंकि माँ तो माँ होती हैँ,और आज के डेट में एक बेटा अपने फेसबुक अकॉउंट पर लिखता हैँ “माइ वाइफ इज माइ लाइफ “धन्य हैँ वो पुत्र
सबों का आभार,
अरुण कुमार लेखक सह पत्रकार ( मंडे मॉर्निंग न्यूज़ नेटवर्क ) Bhagwat group corporation

Copyright protected
झारखण्ड न्यूज़ की महत्वपूर्ण खबरें

Quick View