मेरी बात,, लड़कों में गुस्सा और लड़कियों में अभिमान, @ लेखक सह पत्रकार अरुण कुमार
मेरी बात,,,, लड़कों में गुस्सा और लड़कियों में अभिमान,, आज का यह टॉपिक वाकई में लाजबाब हैँ और वो भी हो क्यों ना जब बात आती हैँ लड़कों और लड़कियों की तब एक बात दोनों जगह से ही छन कर निकलती हैँ कि लड़कियों में अभिमान का होना जैसे लाजमी हैँ वैसे ही लड़कों में गुस्सा का होना तो स्वाभाविक होता ही हैँ किन्तु अगर हम सब बात करें कि एक लड़की में अभिमान से ज्यादा स्वाभिमान का होना आवश्यक हैँ ठीक उसी तरह एक लड़के में गुस्सा के जगह पर उसका शांत स्वाभाव ज्यादा अच्छा होता हैँ जबकि दोनों ग्रुप की अगर हमसब बात करें तो दोनों में स्वाभिमान का होना अति आवश्यक हैँ और जब बात आ जाती हैँ अपने ऊपर तो फिर किधर बात रह जाती हैँ कुलमिलाकर स्वाभिमानी व्यक्तित्व ही दोनों पक्षो के मामलों को ज्यादा असरदार बनाता हैँ किन्तु आज भी लड़कियों की हॉबी उसकी पर्सनल लाइफ से मैच नहीं करती हैँ यह भी एक सच्चाई ही हैँ ठीक उसी तरह लड़कों की कथनी और करनी में भी काफी अंतर हो जाता हैँ ऐसा इसलिए कि आज के लड़के स्वयं में ज्यादा जी रहे हैँ उन्हें हम का पता ही नहीं हैँ ठीक इसके उलट अगर हम बात करते हैँ लड़कियों की तो उनका भी परफॉरमेंस भी कुछ खास सही नहीं हो पा रहा हैँ और फिर जब बात आती हैँ कि वे अपने बारे किया और किस तरह की सोच रखती हैँ और पुनः ज़ब बात आ जाती हैँ रिश्तों को जोड़ने की तो भी आज की लड़कियों में वो मानशिकता नहीं आ पा रही हैँ कि वे सबको एक साथ एक सूत्र में बांध कर रख सके,और अगर हम सब बात करें उन लड़कों की तो उनमें अल्हड़पन व फूहड़पन आज भी घर कर रही हैँ इसके अपितु अगर दोनों की मनःस्तिथि को देखें तो एक बात स्पष्ट हो जाती हैँ कि दोनों ही को अपने रवैये में बदलाव लाना ही होगा और वक्त के हिसाब से ही दोनों को ढलना भी होगा अन्यथा अगर यह वक्त एक बार हाथ से फिसल गया तो दुबारा मौका नहीं देगा तो वक्त को संभाल कर रखना सीखें और समय की मांग के अनुरूप कार्य को अवश्य करें जिससे की समाज आपको उसी रूप में अपना लें और आपके मान सम्मान में बढ़ोतरी भी हो,,
अरुण कुमार, लेखक सह पत्रकार

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