महाशिवरात्रि के पावन पर्व को लेकर भक्तिमय हुआ पूरा कोयलाँचल
महाशिवरात्रि का पावन पर्व हैँ 18 फरवरी को,शिव भक्तिमय हुआ पूरा कोयलाँचल
महाशिवरात्रि का यह पावन पर्व भगवान शिव के प्रति हमारी आस्था की पराकाष्ठा को दर्शाता है.प्रत्येक साल महाशिवरात्रि फाल्गुन मास के कृष्ण शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है. इस साल महाशिवरात्रि शनिवार 18 फरवरी 2023 को पड़ रही है.इस बार महाशिवरात्रि पर विशेष संयोग भी बन रहे हैं, जिसमें पूजा-व्रत करना अत्यंत फलदायी रहेगा. इस साल महाशिवरात्रि के दिन प्रदोष व्रत भी है और साथ ही शनिवार का दिन भी है. शनि देव को भगवान शिव के परम शिष्य हैं और शिवजी ने ही उन्हें न्यायदाता और कर्म फलदाता नियुक्त किया था. शिवजी के साथ ही शनिदेव की कृपा पाने के लिए भी इस साल महाशिवरात्रि का दिन शुभ रहेगा
इस साल महाशिवरात्रि इसलिए भी महत्वपूर्ण होगी क्योंकि, इस दिन एक तरफ प्रदोष व्रत और शनिवार होगा. तो वहीं कई शुभ योग भी रहेंगे. महाशिवरात्रि पर सायंकाल 5:40 के उपरांत श्रवण नक्षत्र प्रारंभ होगा और सांय 5:40 तक उत्तराषाढ़ा नक्षत्र स्थित रहेगा. उत्तराषाढ़ा का अंतिम चरण और श्रवण नक्षत्र का प्रथम चरण विशेष रूप से अभिजित नक्षत्र को जन्म देते हैं. श्रवण नक्षत्र आने पर स्थिर योग उत्पन्न होगा और सिद्धि योग बनेगा. ऐसी स्थिति में भगवान शिव की उपासना करना अत्यंत फलदायी रहेगा.शिव और शक्ति के मिलन के महापर्व को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है. जगत में प्रकृति और पुरुष के बीच के संबंध को परिभाषित करता है और इससे हमें यह प्रेरणा लेनी चाहिए कि हमें अपनी प्रकृति को तनिक भी नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए. क्योंकि वह माता स्वरूप होकर जीवन में हमारा पालन-पोषण करती हैं.शिव पुराण के अनुसार, जो भक्त महाशिवरात्रि पर जीवधारी जितेंद्रिय रहकर और निराहार बिना जल ग्रहण किए शिव आराधना करते हैं, उन्हें समस्त सुखों की प्राप्ति होती है. महाशिवरात्रि के व्रत से कई गुना पुण्यफल की प्राप्ति होती है.
देवों के देव महादेव और माता पार्वती के मिलन का यह दिन अत्यंत ही पवित्र और पावन होता है. इस दिन निराहार रहकर भगवान शिव की उपासना करने का महत्व है. भगवान शिव ने ही जगत की रक्षा के लिए हलाहल विष का पान किया था और वह नीलकंठ हो गए थे. शिव और शक्ति के एकात्म रूप अर्धनारीश्वर की अवधारणा हमें अपने जीवन में आत्मसात करनी चाहिए.
शिवरात्रि के पर्व को भगवान शिव और माता पार्वती के विवाहोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है. परम कल्याणकारी सदाशिव और परम कल्याणकारिणी मां पार्वती के पवित्र मिलन को परिभाषित करता महाशिवरात्रि का त्योहार हमें जीवन में सबकुछ प्रदान करने का सामर्थ्य को दर्शाता है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की एकसाथ पूजा करने से जन्म जन्मांतर के कष्टों से मुक्ति मिलती है.वैसे भी सभी देवों में भगवान भोले शंकर को सबसे दयालु और कृपालु बताया गया हैँ और जो भक्त मन की भक्ति भाव से इनकी भक्ति करते हैं तो भगवान उनकी मुराद अवश्य पूरी करते हैँ जय महाकाल, जय महादेव

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