नवरात्री पर्व देवी शक्ति को समर्पित
सीतारामपुर -नवरात्र के छठवें दिन श्रद्धालुओं ने शक्ति की देवी के छठे रूप माँ कात्यायनी माता की आराधना करते हुए अपने परिवार व संसार में सुख- शांति के लिए प्रार्थना की. सीतारामपुर के पंडित गणेश मिश्रा जी ने बताया कि नवरात्रि हिन्दू धर्म में मनाये जाने वाले पवित्र पर्वों में से एक है, जिसे बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. नौ दिनों तक चलने वाला नवरात्रि पर्व देवी शक्ति को समर्पित है, इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 18 मार्च से प्रारंभ हुई है, जो 26 मार्च को खत्म होगी. उन्होंने बताया कि हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष में कुल 4 नवरात्रियाँ आती है, जिनमे से दो मुख्य रूप से चैत्र एवं शारदीय नवरात्री मनाई जाती है और दो का गुप्त रूप से पालन किया जाता है. मुख्यरूप से मनाया जाने वाली नवरात्र पर्व को देवी शक्ति की उत्पत्ति के रूप में मनाया जाता है. मान्यता है कि दैत्यों का संहार करने के लिए माता शक्ति ने नव रूप धारण किये थे, जिसके कारण नवरात्र पर्व को मनाया जाता है. चैती छठ को लेकर उन्होंने कहा कि भविष्य पुराण में बताया गया है कि कार्तिक और चैत्र मास की छठ (चैत छठ) का विशेष महत्त्व है, चैत्र मास में नवरात्र के दौरान ही हर साल षष्ठी तिथि को चैत छठ पर्व मनाया जाता है.चैत्र मास में सूर्यदेव की पूजा विवस्वान के नाम से होती है, इन दिनों पुराणों के अनुसार वैवस्वत मनवंतर चल रहा है. इस मन्वंतर में सूर्यदेव ने देवमाता अदिति के गर्भ से जन्म लिया था और विवस्वान एवं मार्तण्ड कहलाए. इन्हीं की संतान वैवस्वत मनु हुए जिनसे सृष्टि का विकास हुआ है. शनि महाराज, यमराज, यमुना, एवं कर्ण भी इन्हीं की संतान हैं, भगवान राम भी इन्हीं के वंशज माने जाते हैं क्योंकि उनका जन्म वैवस्वत मनु के पुत्र इच्छवाकु के कुल में हुआ है. इसलिए भगवान श्रीरामचन्द्रजी अपने कुल पुरुष सूर्यदेव की प्रसन्नता के लिए सूर्यपूजा और छठ व्रत किया करते थे.
अपने आस-पास की ताजा खबर हमें देने के लिए यहाँ क्लिक करें
Copyright protected
पश्चिम बंगाल की महत्वपूर्ण खबरें
Quick View
झारखण्ड न्यूज़ की महत्वपूर्ण खबरें
Quick View