छठ पूजा के महापर्व में खरना का हैँ विशेष महत्व खरना पूजन के साथ छठवर्तियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास आज से शुरू
छठमहापर्व की पूजा में खरना पूजन का हैँ विशेष महत्त्व, छठ वर्तियों की खरना पूजन के साथ 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू
धनबाद, दीपावली के छटवे दिन से शुरू होने वाले छठ पर्व की शुरुआत आज से हो चुकी है. बिहार, उत्तरप्रदेश और झारखण्ड के लोगों के लिए ये पर्व नहीं बल्कि एक भाव है जिसे वह पूरे साल संजों के रखते हैं.साल के अंत में आने वाले इस पर्व का उत्साह पूरे देश में देखा जा सकता है. भारतीय संस्कृति में सबसे कठिन व्रत की शुरुआत इस साल 28 अक्टूबर से हुई है. जहां यह पर्व अगले चार दिनों तक चलेगा. आज छठ का दूसरा दिन यानि खरना है. आइए आपको बताते हैं क्या है इस दिन का महत्व और किन नियमों के साथ शुरू करें अपनी पूजा.
छठ के दूसरे दिन को खरना कहते हैं. इसका अर्थ है शुद्धिकरण जहां इस दिन छठ पूजा का प्रसाद बनाने की परंपरा है. आज भी पूरे दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और माता का प्रसाद तैयार करती हैं. इस प्रसाद की ख़ास बात यह है कि इस खीर को मिटटी के चूल्हे पर बनाया जाता है. साथ ही प्रसाद तैयार होते ही सबसे पहले व्रती महिलाएं इसे ग्रहण करती हैं फिर इसे सबों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है. सूर्यास्त के समय व्रती स्त्रियां नदी और घाटों पर पहुंच जाती हैं और सूर्य को अर्घ्य देती है वहीँ सूर्यदेव को जल और दूध सेअर्घ्य देने की परंपरा है. साथ ही इस दिन छठ गीत भी गाए जाते हैँ वहीँ सफाई को लेकर भी छठ माँ के इस महापर्व में विशेष महत्व दिया गया हैँ वहीँ बच्चों द्वारा या किसी के द्वारा भी बिना हाथ धोए पूजा का सामान छूने पर इसे दोबारा इस्तेमाल ना करने की सलाह सबों को दी जाती हैँ जबकि साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें, और किसी भी चीज़ को हाथ धोए बिना ना छुए.चार दिन तक महिलाओं को पलंग पर नहीं बल्कि जमीन पर सोना होता हैँ ऐसी मान्यता हैँ वहीँ माँ छठ की महिमा सभी पर बनी रहे ऐसी मान्यता मानकर ही छठ वर्ती माँ की इस पूजा को विधि विधान पूर्वक करती हैँ माँ छठ की किर्पा सबों पर बनी रहे जय छठ माँ,

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