शिला इंटरप्राइजेज के 14 हाइवा में 8 के काग़जत फैल,कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने की तैयारी
लोयाबाद पुलिस गश्ती दल व सीआईएसएफ वाहन में टक्कर मारने वाला हाइवा संख्या जेएच 05 ए एस 5213 शिला इंटरप्राइजेज कंपनी के अंतर्गत वासुदेवपुर में चल रहा था। घटना के बाद से हाइवा का चालक व खलासी फरार है। हाइवा का मालिक भी पुलिस के सामने उपस्थित नहीं हो रहा है।
शिला ट्रांसपोर्टिंग कंपनी के मुंशी से पूछताछ
लोयाबाद पुलिस तेज रफ्तार से पुलिस व सीआईएसएफ के वाहन को टक्कर मारने के मामले में ट्रांसपोर्टिंग कंपनी के मुंशी से पूछताछ भी कर रही है।वहीं दूसरी ओर इस मामले में नए रहस्य सामने आ रहे हैं। पुलिस द्वारा दर्ज मामले में अनिल रवानी व हाइवा के मालिक चालक व खलासी सहित अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया है। जान से मारने की नियत से सीआईएसएफ व पुलिस वाहन पर जोरदार टक्कर मारने की बात कही गई है। मामला बासुदेवपुर कोल डंप से कोयले की तस्करी से जुड रहा है।
शिला इंटरप्राइजेज को ब्लैक लिस्टेड करने की प्रक्रिया शरू
सीआईएसएफ द्वारा शिला इंटरप्राइजेज को ब्लैक लिस्टेड करने की प्रक्रिया भी की जा रही है। मालूम हो कि इसी कोल डंप से कोयला टपाते सिजुआ क्षेत्र के जीएम आशुतोष द्विवेदी ने तीन हाईवा को धर दबोचा था।
बीसीसीएल प्रबंधन संदेह के घेरे में
शिला ट्रांस्पोर्टिंग में सही कागजात के बिना ही हाईवा की पासिंग। बीसीसीएल प्रबंधन संदेह के घेरे में। बासुदेवपुर कोल डंप से शिला ट्रांस्पोर्टिंग का 14 हाइवा का पासिंग है। जिसमें कोयले की ट्रांस्पोर्टिंग में चलने वाली अधिकतर हाईवा के कागजात सही नहीं है। 14 हाईवा की ऑनलाइन जाँच की गई जिसमें आठ हाइवा के कागजात सही नहीं पाये गये । किसी का इन्सुरेंस फेल है तो किसी का फिटनेस तो किसी का प्रदूषण का पेपर नहीं है तो किसी ने छह साल से टैक्स नहीं भरा है। अब सवाल उठता है कि जब हाईवा के कागजात सही नहीं थे तो बीसीसीएल प्रबंधन द्वारा पासिंग कैसे दे दी गई। यदि सही से जाँच हो तो एक बड़ा गोरखधंधा का पर्दाफाश हो सकता है। मामले में कई अधिकारियों का गर्दन फंसना तय माना जा रहा है।
गुड्स कैरियर देखकर पासिंग दी गई है:-सेल्स मैनेजर
बसीसीएल एरिया 5 के सेल्स मैनेजर धर्मबीर आलोक से इस संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि सिर्फ गुड्स कैरियर देखकर पासिंग दी गई है।
इस तरह से होती है हाईवा की पासिंग
जो हाइवा बीसीसीएल के अंदर चलता है। उसमें जीपीएस बीसीसीएल प्रबंधन के द्वारा लगाया जाता है जिसकी मोनेटरिंग क्षेत्रीय कार्यालय से होती है। ट्रांसपोर्टर द्वारा कोयले की लिफ्टिंग का काम जिसे दिया जाता है सब देखभाल करता है। ट्रांसपोर्टर के अनुमति से ही हाइवा इधर उधर कहीं जा सकता है। पासिंग की कागजात को कोलियरी पीओ एजीएम को फॉरवर्ड करता है। एजीएम के हस्ताक्षर के बाद सेल्स मैनेजर के टेबल पर पेपर आता है। जाँच पड़ताल के बाद सैलस मैनेजर के हस्ताक्षर के बाद ही सीआईएसएफ कमांडेंट के पास पेपर जाता है। वहाँ पर भी पेपर की जाँच की जाती है तब कमांडेंट या फिर सीआईएसएफ इंस्पेक्टर के हस्ताक्षर के बाद पेपर पास होता है। सवाल उठता है कि इतने अधिकारियों की जाँच पड़ताल के बाद जब पेपर पास होता है तो लगातार इतनी बड़ी चुक कैसे हो रही थी या फिर कोई गोरख धंघा चल रहा था।यह जाँच के बाद ही सामने आयेगा।
शिला इंटरप्राइजेज को ब्लैक लिस्टेड के लिए लिखा जा रहा है। इंस्पेक्टर
सीआईएसएफ इंस्पेक्टर आदर्श कुमार सिंह ने बताया कि शिला इंटरप्राइजेज को ब्लैक लिस्ट करने के लिए बीसीसीएल प्रबंधन को पत्र लिखा जाएगा। इस ट्रांस्पोर्टर पर कई तरह के सवाल उठने लगे हैं।

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