शून्य छाया दिवस
बुजुर्गों से सुना है कि हम अकेले नहीं हमारे साथ हमारा साया या परछाई सदा है वह हमारा साथ या पीछा कभी नहीं छोड़ती। दिलचस्प बात यह है कि इस सिद्धांत का भी अपवाद है। अमूमन प्रतिवर्ष दो बार ऐसा दिन आता है, जब हमारी परछाई भी कुछ वक्त के लिए हमारा साथ छोड़ जाती है। खगोलशास्त्र में इस दिन को शून्य छाया दिवस या जीरो शैडो डे कहा जाता है।अगले माह तीन जून और उसके बाद नौ जुलाई को इस खगोलीय घटना से लोग रूबरू होंगे।
इस दिन कई अनोखे प्रयोग किये जाते है
छत्तीसगढ़ में इस दिन के वैज्ञानिक महत्त्व से छात्र-छात्राओं व आम लोगों को अवगत कराने की तैयारी की जा रही है।कर्क रेखा से भूमध्य रेखा के बीच व भूमध्य रेखा से मकर रेखा के बीच आने वाले स्थान पर शून्य परछाई दिवस आता है। इस दिन बहुत से खगोलशास्त्री, भौतिकविद् और शिक्षक व कुछ जिज्ञासु शिक्षार्थी, तर्कशील लोग कई अनोखे प्रयोग करते हैं जैसे -वह इस खास पल में खड़े होकर अपनी परछाईं को ढूंढते हैं. गिलास को उल्टा रखकर यह देखते हैं कि उसकी परछाईं किस तरफ आ रही है। दरअसल यह शून्य परछाई दिवस का वह क्षण, दिनभर के लिए नहीं, बल्कि कुछ पलों के लिए दोपहर 12 बजे के आसपास होता है। परछाई ना बनने के घटनाक्रम को खगोल विज्ञानी जीरो शेडो डे या शून्य छाया दिवस कहते हैं।
हमारे अंदर ही कुछ समय के लिए समाहित हो जाती है
रविवि के कुलपति प्रोफेसर केसरी लाल वर्मा ने कहा कि जिन राज्यों में जीरो शेडो डे को देखा जा सकता है वहाँ लोगों को इस घटना के बारे में जरूर बताएं। गौरतलब हो कि जीरो शेडो डे के समय परछाई एकदम से न तो गायब होती है और ना ही हमारा साथ छोड़ती है बल्कि वह हमारे अंदर ही कुछ समय के लिए समाहित हो जाती है। सूर्य के उत्तरायण और दक्षिणायण होने के दौरान 23.5 अंश दक्षिण पर स्थित मकर रेखा से 23.5 अंश उत्तर की कर्क रेखा की ओर सूर्य जैसे-जैसे दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर बढ़ता है, वैसे-वैसे दक्षिण से उत्तर की ओर गर्मी की तपन दक्षिण गोलार्ध में कम होती जाती है और उत्तरी गोलार्ध में बढ़ती जाती है।सूर्य की किरणें पृथ्वी पर जहाँ सीधी पड़ती जाती है, वहाँ उन खास स्थानों पर दोपहर में शून्य परछाई दिवस के दिन कुछ पल के लिए यह स्थिति निर्मित होती है। ठीक उसी प्रकार उत्तर से दक्षिण की ओर सूर्य वापस आते समय ठीक मध्या-में उसी अक्षांश पर फिर से शून्य परछाई बनाता है। यानि कर्क रेखा से मकर रेखा के बीच दक्षिणायन होते सूर्य से यह दुर्लभ खगोलीय घटना दोबारा देख सकते हैं।
दुनिया के लिये कौतुहल का विषय
पहली घटना दोपहर 12 बजे से तीन मिनट से पहले इस वर्ष शून्य छाया दिवस यानि जीरो शैडो डे की खगोलीय घटना छत्तीसगढ़ के कोरबा में पहली बार तीन जून को दोपहर 11 बजकर 57 मिनट पर व दूसरी बार नौ जुलाई को 12 बजकर चार मिनट पर होने वाली है। जो पूरे देश-दुनिया के लिये कौतुहल का विषय बनी हुई है, और लोग इस क्षंण का बहुत बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।