पचास वर्ष के लिए व्यापक जल आपूर्ति योजना की जरूरत
आसनसोल -रेलवे कॉलोनियों, स्टेशनों, यार्डों और अन्य स्थानों में जल के अभाव को लेकर बारंबर आ रही शिकायतों को ध्यान में रखते हुए आसनसोल में जल की आपूर्ति बढ़ाई जाएगी। एक शतक वर्ष पहले अभिकल्पित बराकर नदी से पंपिंग के जरिये जल उपलब्ध करवाने की वर्तमान जल आपूर्ति व्यवस्था ने अतीत में यथापेक्षित आवश्यकताओं की प्रशंसनीय ढंग से सेवा की है, परंतु ट्रेनों की संख्या में उत्तरोतर वृद्धि और अन्य जल आधारित क्रियाकलापों के कारण बढ़ती आवश्यकताओं को पूरा करने के मद्देनजर अगले पचास वर्ष के लिए व्यापक जल आपूर्ति योजना की जरूरत है। विस्तृत कार्यवाही योग्य योजना बनाने हेतु व्यापक आसनसोल जल योजना-2050 की प्रमुख विशेषताएं निम्नानुसार है.
डिलिवरी में सुधार और पंपिंग की लागत कम करने हेतु बराकर, सीतारामपुर, कालीपहाड़ी में समस्त एनर्जी गज्जलिंग अदक्ष पंपों को हटा कर ऊर्जा दक्ष पंपों को लगाना, 100% अतिरिक्त नए पंप रखे जाएं, कुछ पुराने पंपों को दुरुस्त करवाने के बाद अलग से रखे जाएं, आसनसोल की कम से कम 50% आवश्यकता को परित्यक्त पिटों में जमे जल से पूरा करने के मद्देनजर काली पहाड़ी और सालानपुर स्थित पंपिंग क्षमता को बढ़ाया जाए.
नई पाइप लाइनों का प्रावधान और पुराने पाइप लाइनों की देखभाल
मौजूदा स्वीकृत कार्य के अंतर्गत एक नई पाइप लाइन बिछाई जाए। नई पाइप लाइनों कोसालानपुर जल पिट से जोड़ा जाए। इससे न केवल कम लागत पर हमें अतिरिक्त जल मिलेगा,बल्कि बराकर में किसी प्रकार की जल-समस्या वाली स्थिति में एक बफर के रूप में कामकरेगा। साथ ही, जल चोरी प्रवण क्षेत्रों में पाइप लाइन को उपयुक्त ढ़ंग से सुरक्षित किया जाए। पुराने पाइप लाइन की पूरी तरह से देख-रेख की जाए। इसे रेलवे ट्रैक से दूर रखा जाए ताकिकंपन के करण रिसाव की घटना न हो पाए। पुराने पाइप लाइनों में अनधिकृत रूप से लगे नलोंको हटाया जाए और रिसाव व कंपन से बचाव हेतु नुकसान पहुँचने वाले स्थान पर अधिक बड़ेघेरे (व्यास) वाले पाइप के जरिये सुरक्षित किया जाए।
भंडारण टैंकों में वृद्धि :
सीतारामपुर और आसनसोल के वर्तमान जल टंकियों में जमे गादों को निकालकर साफ कियाजाए और इनकी संख्या बढ़ाई जाए ताकि उनकी भंडारण क्षमता में वृद्धि हो सके। बराकर से पंपिंग की आवश्यकता के बिना आसनसोल के लिए कम से कम एक दिन की पानीकी आवश्यकता को सुनिश्चित करने के लिए प्राकृतिक भू-भाग और समोच्च के दोहन हेतुअतिरिक्त भंडारण टैंकों का निर्माण किया जाना चाहिए
बड़े पैमाने पर जल संग्रहण
तालाबों, जल भंडारों में उपयोग के लिए बड़े पैमाने पर वर्षा के जल संग्रह की योजना तैयार कीजाए। प्रमुख स्टेशन, कार्यालय,,शेड इत्यदि में वर्षा जल के बड़े पैमाने पर भंडारण एवं पुन:उपयोगकिया जाए। कम लागत की तकनीक के जरिए प्रत्येक बंगले और ब्लॉकों में जल संग्रहण एवं पुन: उपयोगकिया जाए।
इफ्ल्यूंट ट्रिटमेंट प्लांट (ईंटीपी) द्वारा अवशिष्ट जल का पुन:चक्रण
स्टेशन और कॉलोनियों के अवशिष्ट जल को ईएफटी द्वारा आशोधित कर के ऍप्रेन, स्टेशन,ट्रेन कोच की साफ-सफाई और बागवानी के लिए उसका फिर से उपयोग किया जा सकता है। सीतारामपुर की टंकी की घेरेबंदी की जाए और आनेवाली नाली का रास्ता बदला जाए और उसेईंटीपी द्वारा स्वच्छ किया जाए। किसी भी नाली को हमारे उन विद्यमान तालाबों में आने कीअनुमति नहीं दी जाए, जहाँ सिर्फ स्वच्छ पेय जल का ही भंडारण होता है।
सेक्शनल वरिष्ठ मंडल इंजीनियर/ मंडल इंजीनियरों द्वारा अपने क्षेत्राधिकार में स्टेशन और कॉलोनियों में जल-आवश्यकता की पूर्ति हेतुइसीप्रकार व्यापक योजना बनायी जाए। झारखंड स्थित उन सभी छोटे स्टेशनों में जहाँ हमारे कर्मचारी एवं यात्रीगण विशेषत: गर्मी के मौसम मेंभीषण जल-संकट का सामना करते हैं, वहाँ वर्षा जल का संग्रहण किया जाए एवं तालाब आधारित जलापूर्ति की व्यवस्था की जाए। अगले वर्ष जल-संकट से बचने के लिए कार्य-योजना बनायी जाए और कार्यान्वित की जाए।
हाल ही में बराकर में, मंडल द्वारा 90,000जीपीएच क्षमता वाले दो ‘एनर्जी एफिशियेंट पंप’’ संस्थापित किये गये हैं। एक पंप ने कार्य करनाप्रारंभ भी कर दिया है और दूसरा शीघ्र ही चालू हो जाएगा। पहले हमलोग 60,000 जीपीएच के दो पंपों के साथ- साथ चलाकर जितने जल की आपूर्तिकिया करते थे और आज हम मात्रा 90,000 जीपीएच के एक ही पंप को चला कर हासिल कर रहे हैं।
आसनसोल रेल मंडल, जनसंपर्क विभाग