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वाममोर्चा सरकार से ठगी का शिकार हुए थे अब टीएमसी सरकार से ठगे जा रहे है – रोबिन सोरेन

फ़ाइल फोटो

दुर्गापुर -25वां विश्व आदिवासी दिवस समारोह गुरुवार को शहर के पलासडीह स्थित फूटबाल मैदान में आयोजित की गई। आदिवासी दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मारंडी, पूर्व बर्धमान जिला के सभापति देबू टुडू, ऑल इंडिया आदिवासी संगठन के अध्यक्ष सुरोजित हसदा, झारखंड के आदिवासी संगठन के नेता श्याम हेमब्रम, शरदा प्रसाद किस्को, उड़ीसा के प्रभु मारंडी, पुरूलिया के महादेव हांसदा, पूर्व और पश्चिम बर्धमान जिला के आदिवासी संगठन के अध्यक्ष लवंनो हांसदा आदि मौजूद थे। कार्यक्रम की शुरूआतअतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलित कर की गई।

कार्यक्रम के दौरान आदिवासी मेधवी छात्र-छात्राओं एवं खिलाड़ीयों को सम्मानित किया गया।आदिवासी छात्र रोनित हांसदा, संदीप कोले, कुसुम हांसदा, ह्दय टुडू को सीबीएससी और मध्यामिक परीक्षा में बेहतर परिणाम के लिए सम्मानित किया गया। साथ ही अंडर 19 किक्रेट महिला राज्य में बेहतर प्रर्दशन करने वाली ममता किस्कू एवं कराटे में स्वर्ण पदक विजेता ममता हांसदा को राशि चेक देकर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मारंडी ने सम्मानित किया। आदिवासी महिलाओं ने आदिवासी नृत्य व संगीत प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम में आदिवासी संगठन के नेता रोबिन सोरेन ने कहा कि राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आदिवासी विकास के लिए अनेक योजनाएं एवं विशेष पैकेज की बात करती है, लेकिन सच्चाई यहीं है कि दुर्गापुर शहर में आदिवासी लोगों का कोई विकास नहीं किया गया। इससे पूर्व के वाममोर्चा सरकार से आदिवासी सामाज ठगी का शिकार हुए थे अब भी इस सरकार से ठगे जा रहे है। उन्होंने कहा आदिवासी लोगों को जमीन का पट्टा देने की बात कहीं गई थी मगर एक भी आदिवासी परिवार के लोगों को जमीन का पट्टा नहीं मिला।रोजगार देने की बात कहीं गई थी वह भी नहीं हुआ।

सामाज में आदिवासी लोगों को एक अलग से मर्यादा देने की बात थी वह भी पूरा नहीं किया गया। उन्होंने कहा एक तरफ राज्य के मुख्यमंत्री आदिवासी दिवस पालन करती है तो दूसरे तरफ दुर्गापुर शहर में आदिवासी दिवस पालन से रोका जाता है। अनेक जगहों में आदिवासी लोगों को इस कार्यक्रम में आने से रोका जाता है। यहाँ के पुलिस प्रशासन तृणमूल कांग्रेस का पट्टा पहन रखा है। मगर यह सरकार को बता देना चाहते है कि राज्य में आदिवासी की संख्या 20% प्रतिशत है। आदिवासी उन्नयन कमिटी में रितोब्रतो को रखा गया है, हम लोग उनको नहीं मानते है। हम लोग कोई राजनीतिक उद्देश्य से आदिवासी दिवस पालन नहीं करते है, बल्कि यहाँ के तृणमूल कांग्रेस के कुछ नेता कर्मी इसे राजनीतिक का रंग देने का कोशिश किए। आदिवासी सामाज एक ऐसा समाज है जो कभी भी किसी भी सरकार का पत्ता साफ कर सकता है।

कार्यक्रम में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मारंडी ने कहा कि पूरे देश में आदिवासीयों की संख्या 20%प्रतिशत से अधिक है। आदिवासी सामाज को केंद्र में किसी भी सरकार से मदद नहीं मिला। आदिवासी उन्नयन के लिए बड़े-बड़े बातें कहीं जाती है लेकिन एक भी योजना सही प्रकार से लागु नहीं होता है। देश के संविधान रचिता डॉ. भीमराव अंबेडकर ने एससी-एसटी लोगों के लिए एक अलग से भले ही विशेष मर्यादा संविधान में दी है, लेकिन केंद्र के भाजपा सरकार उन संविधानों को रद्द करने की साजिश कर रही है। एक आदिवासी लोग को जो मर्यादा इस देश में मिलना चाहिए वह नहीं मिल रहा है,

जब देश में नहीं मिल रही है तो राज्य से क्या उम्मीद कर सकते है। उन्होंने कहा सरकार न राशन कार्ड, न जमीन के पट्टे, न बिजली, न घर, न रोजगार ही दे रहे है। अब भी अनेक ऐसा आदिवासी गाँव है जहाँ कोई भी उन्नयन अब तक नहीं हो सका है। सरकार की मंसूबे ठीक नहीं है। योजनाएं परित हो जाता है लेकिन योजनाएं लागु नहीं होता है। सिर्फ कागजों में सिमट कर रह जाता है।

Last updated: अगस्त 9th, 2018 by Durgapur Correspondent