ईसीएल के जामुड़िया थानांतर्गत नॉर्थ सियरसोल ओसीपी में कुछ स्थानीय लोगों ने जमकर तांडव मचाया। ईसीएल के वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया। कर्मचारी एवं अधिकारी तक को पीट दिया उनके वाहन तोड़ डाले। इस घटना से ओसीपी के कर्मचारियों में भारी आक्रोश है ।
दोपहर में लाठी डंडे से लैस कुछ स्थानीय युवकों ने हमला कर दिया
प्राप्त जानकारी के मुताबिक नॉर्थ सियरसोल ओसीपी से सटे तप्सी ग्राम के कई युवकों ने आज दोपहर ओसीपी में ब्लास्टिंग के बाद अचानक धावा बोल दिया मात्र कुछ मिनटों में सबको पीट कर , तोड़-फोड़ कर वहाँ से चलते बने ।
ओसीपी में ब्लास्टिंग को लेकर है पुराना विवाद
पहले की जो खबरें है उसके अनुसार ओसीपी के आस-पास के सटे गाँव के लोग लोग ओसीपी में ब्लास्टिंग का काफी दिनों से विरोध करते आ रहे हैं। इस बाबत ग्रामीणों द्वारा कई बार प्रदर्शन भी किया गया है। उनका कहना था कि ब्लास्टिंग से उनके मकान की दीवारें और छतें फट जाती है। उनका मकान नष्ट हो रहा है। वे लंबे समय से ब्लास्टिंग बंद करने की मांग करते रहे हैं।
आज की घटना में किसी भी ग्रामीण का कोई भी बयान सामने नहीं आया है लेकिन माना जा रहा है कि इसी ब्लास्टिंग के विरोध में युवकों ने ओसीपी में पार-पीट और तोड़-फोड़ चलायी है।
हमले में घायल श्रमिकों में काफी गुस्सा था और उनका कहना था कि वे यहाँ नौकरी करते हैं उनका किसी से कोई निजी दुश्मनी नहीं है। यदि ग्रामीणों की कोई शिकायत या मांग है तो उन्हें प्रबंधन से बात करनी चाहिए , श्रमिकों की पिटाई करके और उनके वाहन तोड़कर उन्हें क्या मिलेगा।
समाचार लिखे जाने तक पुलिस में कोई शिकायत की जानकारी नहीं मिली और न ही घटनास्थल पर पुलिस या किसी सुरक्षाकर्मी को देखा गया। यहाँ यह गौर करने वाली बात है कि पूरे ईसीएल की सुरक्षा में कंपनी करोड़ों रुपये खर्च भी करती है मगर आज की घटना को देखकर समझ में आ गया कि ईसीएल के खदान कितने सुरक्षित हैं और कोलियरियों से कोयला चोरी की घटना क्यों नहीं रुक रही है। दूसरी तरफ ग्रामीणों की समस्या को भी सुनना होगा और उनका निदान करना होगा। कोयला उत्पादन के लिए ब्लास्टिंग जरूरी भी है और ग्रामीणों की सुरक्षा भी। यदि ग्रामीणों की मांग उचित है तो कंपनी को प्रभावितों को मुआवजा देना चाहिए साथ ही उपद्रवियों पर उचित कानूनी कार्यवाही भी जरूरी है।