मुहम्मद के संदेशों से दूर हो रहे हैं मुसलमान

उनकी भूमिका धार्मिक और सांसारिक दोनों स्तरों पर काफी प्रभावशाली थी

“द हंड्रेड” नामक पुस्तक अमेरिकी लेखक डॉ. माइकल हार्ट ने 1978 में लिखी थी। इसके तहत मानव इतिहास पर विश्व में सबसे अधिक प्रभाव डालने वाले एक सौ व्यक्तियो की सूची बनायीं गई थी।जिस सूचि में हजरत मुहम्मद साहब का नाम पहले स्थान पर रखा गया। डॉ हार्ट का मनना था क़ि हजरत मुहम्मद साहब दुनिया के एक मात्र ऐसे व्यक्ति थे जिनकी भूमिका धार्मिक और सांसारिक दोनों स्तरों पर काफी प्रभावशाली और शानदार रही है। वही ब्रिटिश इतिहासकार थॉमस कार्लाइल ने मुहम्मद साहब को विश्व का महानायक माना है। यदि हजरत मुहम्मद साहब के जीवनी पर नजर डाले तो उनके अनेको सिद्धांत दीखते है,जो यह दर्शाते है क़ि कैसे वे इतने कम समय में इतने लोगो को प्रभावित किये और लोकप्रिय हो गए।

इस्लाम कट्टरपन नहीं सिखाता

वर्तमान समय में मुस्लिम देशो में उथल पुथल सी मची हुई है, जबकि इस समुदाय के नायक शांति के मशीहा रहे है, संसार को एक ऐसे मजबूत और बुनियादी रस्ते दिखाए है की जिसपर चलकर हर शख्स कामयाब हो सकता है, जिसे इस्लाम कहते है। इस्लाम कट्टरपन नहीं सिखाता, लेकिन आज विश्व में कट्टरपंथी देखने और सुनने को मिल रहे  है। गौरतलब है क़ि हजरत मुहम्मद साहब हमेशा मजहबी कट्टरपन से दूर रहे और अपने साथियो एवम् उम्मतियो को भी इससे दूर रहने की नसीहत दी  है, लेकिन आज इस्लाम को मनाने वाले इससे कोसों  दूर होते जा रहे है, नतीजतन आज मुस्लिम समाज उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है।

सहनशीलता की मिशाल थे हजरत मुहम्मद

हजरत मुहम्मद साहब के सहनशीलता का एक सबसे बड़ा उदाहरण रहा क़ि उन्होंने हुदैबियाह संधि के दौरान अपने विरोधियो के समक्ष उनकी तमाम शर्ते हंसकर मान लिए। हुदैबियाह एक ऐसी संधि थी जो पूरी तरह से एक पक्षीय थी। इसके बावजुद भी हजरत मुहम्मद साहब इस संधि को तैयार हो गए। जानकारी के अनुसार सन्धि लेखन में जहाँ मुहम्मद साहब को हस्तक्षर करने थे वहां  उनके नाम के निचे लिखा गया था कि  यह मुहम्मद की तरफ  से है, जो अल्लाह के पैगम्बर है। जिसपर मुहम्मद साहब से यह शब्द हटवा कर अब्दुल्ला के बेटे मुहम्मद लिखने को कहा। उस समय मुहम्मद साहब अपने कई जांबाज साथियों के साथ थे और वे चाहते तो बलपूर्वक अपनी बाते मनवा सकते थे लेकिन उन्होंने यहाँ पर अपने अटूट सहनशीलता का परिचय दिया था।

हर बुराई को अच्छाई से खत्म करो

उनपर और उनके साथियो पर मक्का के लोगो ने बहुत अत्याचार किया, पत्थर तक मारे लेकिन उन्होंने कभी पलटकर जवाब नहीं दिया। हमेशा सहनशीलता और सकरात्मक्ता के साथ रहे। क्योकि कुरान ने उन्हें सिखाया था कि  हर बुराई को अच्छाई से खत्म करो, तब तुम देखोगे कि  तुम्हारा सबसे बड़ा दुश्मन, तुमपर हंसने वाले, मजाक उड़ाने वाले सब तुम्हारे दोस्त बन गए है। आज हमें मुहम्मद साहब के विचारो का पुनर्निरीक्षण कर अपने जीवन में लेने  की आवश्यकता है जिससे समाज , देश व पूरे  विश्व का कल्याण हो सकेगा.

Last updated: नवम्बर 29th, 2017 by News Desk

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