Site icon Monday Morning News Network

विधिवाओ को हक़ के साथ सम्मान मिलना चाहिए-मुकुंद साव

संयुक्त राष्ट्र संघ ने 2011 के 23 जून को अन्तराष्ट्रीय विधवा दिवस के रूप मे मनाया, ताकि विधवा माताओ की आवाजों और अनुभवो की ओर लोगों और सरकार का ध्यान आकर्षित किया जा सके और उन्हें उस अद्वितीय समर्थन को प्रेरित किया जा सके, जिसकी उन्हें आवश्यकता है। उक्त बाते आज अन्तराष्ट्रीय विधवा दिवस के अवसर पर सांसद प्रतिनिधि सह अखिल भारतीय मानवाधिकार एसोसिएशन के केंद्रीय सदस्य मुकुंद साव ने कहा कि अब पहले से कही अधिक यह दिन विधवा माताओ /बहनो के लिए पूर्ण अधिकार और मान्यता प्राप्त करने की दिशा मे कार्य करने का अवसर है। इसमें उन्हें उनकी विरासत, भूमि और उत्पादक संसाधनों के उचित हिस्से तक पहुंच के बारे मे जानकारी प्रदान करना शामिल है। विधिवाओ को अपने और अपने परिवार का समर्थन करने के लिए सशक्त बनाने का अर्थ उन सामाजिक कलंको को दूर करना भी शामिल है जो बहिष्कार और भेदभावपूर्ण या हानिकारक प्रथाओ को पैदा करते है,इसके अलावे सरकार को अन्तराष्ट्रीय क़ानून मे निहित विधिवाओं के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को बनाए रखने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए।जिसमे महिलाओ के खिलाफ सभी प्रकार के भेद भाव के उन्मूलन पर कंवेन्सन और बाल अधिकारों पर कंवेन्सन शामिल है। मुकुंद साव ने कहा कि ज़ब विधिवाओ के अधिकारों कि रक्षा के लिए राष्ट्रीय क़ानून मौजूद है तो राज्यों कि न्यायिक व्यवस्था मे कमजोरी क्यों? मुकुंद साव ने राज्य सरकार से मांग किया कि विधिवाओ और उनके बच्चों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए कार्यक्रम और नितियाँ, गरीबी उन्मूलन,शिक्षा और सभी उम्र के विधवा माताओ /बहनो को अन्य सहायता शुरू करने कि जरुरत है। दुनिया भर मे लगभग 258 मिलियन विधवा माताए एवं बहने है जो आज कहीं न कही हासिए पर है उन्हें सहयोग करने कि जरुरत है।

Last updated: जून 23rd, 2022 by Aksar Ansari