संयुक्त राष्ट्र सहस्राब्दी घोषणा के अनुसार, एकजुटता उन मूलभूत मूल्यों में से है जो अंतराष्ट्रीय संबंधों के लिए आवश्यक है। उक्त बाते आज अंतराष्ट्रीय मानव एकता दिवस के अवसर पर अपनी मन की बात कहते हुए अंतराष्ट्रीय शासकीय संस्थान सोसाइटी हजारीबाग इकाई के संयोजक तथा मानव एकता मंच के झारखंड प्रदेश संयोजक मुकुंद साव ने चौपारण में मंगलवार को कहा उन्होंने कहा कि विविधता में एकता का जश्न मनाने और एकजुटता के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 20 दिसंबर को विश्व स्तर पर मानव एकता दिवस मनाया जाता है। सरकारों को अंतराष्ट्रीय समझौतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का सम्मान करने, एकजुटता के महत्व के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने, गरीबी उन्मूलन सहित सतत विकास लक्ष्यों की उपलब्धि के लिए एकजुटता को बढ़ावा देने के तरीकों पर बहस को प्रोत्साहित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानव एकता दिवस मनाया जाता है। एकजुटता को साझा हितों और उद्येश्यो के बारे में जागरूकता के रूप में परिभाषित किया गया है जो एक ऐसे समाज में एकता और संबंधों की मनोवैज्ञानिक भावना पैदा करता है जो लोगों को एक साथ बांधता है। श्री साव ने अंतराष्ट्रीय मानव एकता दिवस का इतिहास पर जिक्र करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 22 दिसंबर 2005 को संकल्प 60/209 द्वारा मानव एकता को एकजुटता के मौलिक और सार्वभौमिक अधिकारों के रूप में मान्यता दी गई थी। जो इक्कीसवीं सदी में लोगों के बीच संबंधों को दर्शाता है और इस संबंध में ही प्रत्येक वर्ष 20 दिसंबर को अंतराष्ट्रीय मानव एकता दिवस मनाए जाने का निर्णय लिया गया था। श्री साव ने इस दिवस के अवसर पर कहा कि हो हर इंसान का इंसान से भाईचारा यही है अंतराष्ट्रीय मानव एकता दिवस का नारा, विविधता में एकता का महत्व को हम सबको समझना चाहिए और सम्पूर्ण विश्व को एक परिवार के रूप में समझना चाहिए, भारत की पुरातन संस्कृति ने वसुधैव कुटुंबकम् का सिद्धांत प्रतिपादित किया है, जिसके अन्तर्गत संपूर्ण विश्व को एक ही परिवार का हिस्सा बताया है, चाहे वह किसी भी धर्म,जाति या राष्ट्रीयता से संबंध रखते हो और इसी सिद्धांत से वैश्विक शांति स्थापित की जा सकती है। भारत सदा विश्व शांति का पुरोधा रहा है और रहेगा।
विविधता में एकता भारत की पहचान है -मुकुंद साव

Last updated: दिसम्बर 20th, 2022 by