Site icon Monday Morning News Network

अवैध कोयले कारोबारी चिमनी के आड़ में सरकार का लगा रहे करोड़ो का चूना 40 से अधिक हार्ड कोक चिमनी टावर बढ़ा रही शोभा

हजारीबाग जिले के चौपारण प्रखंड झारखंड-बिहार के सीमा पर अवस्थित होने से अवैध कारोबारियों का हमेशा चांदी-चांदी रहा है। इसी कड़ी में चौपारण के विभिन्न क्षेत्रों में अवैध कोयले का कारोबार के उद्देश्य से करीब 40 से अधिक हार्ड कोक चिमनी भट्ठे का निर्माण कराया गया है। क्षेत्र में चिमनी भट्टे शोभा की वस्तु बन गया है। इसके आड़ में चिमनी टावर संचालक बड़े पैमाने पर अवैध तरीके से कोयले का कारोबार कर रहे है। चिमनी टावर के लिए आवंटित कोयले को बिहार और यूपी के मंडी में बेचा जा रहा है। चिमनी टावर में कोयले उतरने या कोक बनाने का कोई सबूत नही मिल सकता है। क्योंकि चिमनी भट्टे जलते ही नही। वैसे कभी कभी चिमनी भट्टे संचालक द्वारा भट्टे परिसर में टायर जलाकर चिमनी भट्टे चालू रहने का सबूत बनाकर रखते है। बताया गया कि रामगढ़ और हजारीबाग में चिमनी भट्टे बंद होने के बाद इस कारोबार से जुड़े कोयला तस्करों द्वारा ही चौपारण के विभिन्न क्षेत्रों में हार्ड कोक चिमनी टावर की स्थापना किया है। जानकारों ने बताया कि सरकार और जिला प्रशासन द्वारा कुजू, मांडू, चरही, घाटों, रामगढ़, हजारीबाग सहित विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ते घनी आबादी तथा चिमनी टावर से बढ़ते प्रदूषण को लेकर उक्त क्षेत्रों से हार्ड कोक चिमनी टावर हटाया जाने लगा। इस बीच चिमनी भट्ठों के संचालक चौपारण में बड़े-बड़े चिमनी भट्टे लगाने लगे। सिंघरावां, पांडेयबारा, जगदीशपुर और मानगढ़ में करीब 40 हार्ड कोक पोड़ा कोयला के चिमनी भट्टे का संचालन हो रही है।

ग्रामीण क्षेत्रो में रोजगार के नाम लगाया गया चिमनी भट्टे : भूमिदाता एवं ग्रामीणों ने बताया कि क्षेत्र में रोजगार के नाम पर तीन से पांच हजार रुपये कट्ठा पर 15 से 30 वर्षो के लिए एग्रीमेंट कराया गया। एग्रीमेंट के समय चिमनी भट्टे लगाने वाले संचालक ने बताया कि क्षेत्र में चिमनी टावर लगने पर ग्रामीण क्षेत्रो के युवकों को रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा। लेकिन आज तक किसी भी ग्रामीण को चिमनी टावर में काम नही मिला। कहा गांव में चिमनी टावर शोभा की वस्तु बन गया है। यहां एक भी व्यक्ति नही रहता है। हमेशा टावर गेट में ताला लटका रहता है। चिमनी टावर संचालक के विरुद्ध ग्रामीणों का आक्रोश बढ़ने लगा है। बताया गया कि विभिन्न क्षेत्रों में क्रमशः शिवा एनर्जी सॉफ्टकोक, रुद्रा फ्यूल सॉफ्टकोक, दुर्गा सेल सॉफ्टकोक, जय मां देवरी फ्यूल, श्री बाला जी कोक ब्रीकेट, ओरिजाबा एनर्जी पीवीटी लिमिटेड, अग्रिती कोक इंडस्ट्रीज पीवीटी लिमिटेड, एसएनआरएल फ्यूल सहित कई चिमनी टावर का नाम सहित 40 शामिल है।

चिमनी टावर के कोयले का खेल निराला : चौपारण तक चिमनी भट्टे के लिए लिंकेज कोयले की अवैध खेल भी निराला ही है। हर दिन चिमनी भट्टे के नाम पर दर्जन भर ट्रकों के द्वारा कोयला चौपारण तक तो पहुंच ही रह है। लेकिन चौपारण से चिमनी भट्टे तक ट्रकों में लगे जीपीएस ही पहुंच रहा है। कोयला झारखंड-बिहार बॉडर के पार कर चोरदाहा पुल के पार डंप किया जा रहा है। यह डंप बिहार के गया जिले के बाराचट्टी थाना के भलुआ में होता है। यहां से कोयला तस्करों द्वारा बिहार और यूपी के कोयला मंडियों तक पहुंच रहे हैं। चिमनी भट्टे के नाम पर आवंटित लिंकेज कोयला उच्चे दामों पर बिक रही है। चिमनी भट्टे के नाम पर खुलेआम कोयले का अवैध कारोबार चल रही है और सरकार को लाखों रुपये राजस्व की चुना लग रहा है।

Last updated: अप्रैल 17th, 2023 by Aksar Ansari