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22 लाख की तांबा की तार की चोरी मामले में दो रेसुब निरीक्षक निलंबित , जांच में आ सकते हैं बड़े नाम

फाइल फोटो

चित्तरंजन -पूर्व रेलवे के चित्तरंजन रेल कारखाना में करीब 22 लाख की तांबा की तार की चोरी से अब पर्दा उठने लगा है, जिसमें दो रेसुब निरीक्षकों को सुशील कुमार एवं सुशील कुमार टिग्गा को विभाग द्वारा निलंबित कर आसनसोल मुख्यालय में संबद्ध करते हुए सुरक्षा नियंत्रण कक्ष में हाजिरी लगाने को आदेशित किया गया है।

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हावड़ा जोन के आईपीएफ/आरपीएफ के इंस्पेक्टर पीएस मीना सह मामले के इंवेस्टीगेशन ऑफिसर गुरुवार को मिहिजाम आरोपियों की धर-पकड़ के लिए अपने 12 सदस्यीय टीम के साथ मिहिजाम पहुँचे और इस अपराध में संलिप्त दो आरोपियों को धर दबोचा।

उन्होंने बताया कि एसीजेएम हावड़ा कोर्ट ने मिहिजाम निवासी आजाद अंसारी तथा चिरेका कर्मी एलपी कुशवाहा के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था जिसके आधार पर दोनों को गुरुवार को गिराफतार किया गया। सबसे पहले इन्हें चित्तरंजन के आरपीएफ टाउनपोस्ट थाना लाया गया फिर वहाँ से इसके बाद दोनों को आसनसोल कोर्ट में पेश किया गया। जहाँ से ट्रांजिट रिमांड लेकर हावड़ा ले जाया जा रहा हैं।

पूर्व रेलवे के चित्तरंजन रेल कारखाना में करीब 22 लाख की तांबा की तार की संबंध में सूत्र से मिली जानकारी के अनुसार चोरी चित्तरंजन रेल इंजन कारखाना चोरी से अब पर्दा उठने लगा है। ,जिसमें दो रेसुब निरीक्षकों को सुशील कुमार एवं सुशील कुमार टिग्गा को विभाग द्वारा निलंबित कर आसनसोल मुख्यालय में संबद्ध करते हुए सुरक्षा नियंत्रण कक्ष में हाजिरी लगाने को आदेशित किया गया है।

इस के आरपीएफ में शॉप पोस्ट के क्षेत्राधिकार वाले गोदाम में हुआ। जिस गोदाम (जीएसडी) से माल चोरी हुआ वह गोदाम का कब्जाधारी एल.पी.कुशवाहा हैं। जिसे इस मामले में चोरी की संभावना 24-25 मई को, वह भी दिन में भोजनावकाश के समय, होने की आशंका जतायी जा रही है। इस संबंध में 28 मई को ही मामला कुशवाहा के संज्ञान में तब आया जब किसी माल को एक भरे गोदाम में रखने के लिए एक श्रमिक ने पूछा।

गोदाम के माल को देखते ही चोरी का संज्ञान हो गया। कुशवाहा द्वारा बिना विलम्ब किये इसकी सूचना मौखिक रूप से आरपीएफ के दोनों निरीक्षकों समेत अन्य उच्च और संबंधित अधिकारियों को दी गई। ऐसी चर्चा दबी जबान से चल रही है।

सूत्रों के अनुसार 29 मई को कुशवाहा ने अपने विभाग के एक राजपत्रित अधिकारी को इसकी सूचना दी, उस समय वो कम्प्यूटर पर कार्य कर रहे थे, उन्होंने कुशवाहा से बोले सब मैनेज हो जायेगा। इसी बीच कुछ गायब माल को पिछवाड़े में फेंकवा कर मैनेज करने का प्रयास भी किया गया और आश्वस्त करने का प्रयास किया गया कि माल मिल जायेगा। कुशवाहा ने चोरी का मेमो देने का हर संभव प्रयास किया,परन्तु काफी दिनों तक नहीं लिया गया।

अब तक दो तांबे तार का क्वायल एक लगभग 2447 और दूसरा लगभग 3291 किलों का क्वायल का बंडल पुरी तरह गायब आज भी है । इसके अलावे भी कुछ माल लापता है। कुशवाहा ने किसी के सलाह से हावड़ा के वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्त से थक हार कर संपर्क साधा इसमें स्थानान्तण पर गये कुछ कर्मचारी का सहयोग एक तरफ कुशवाहा को मिला तो दूसरी तरफ हावड़ा के रेसुब के वरिष्ठ अधिकारियों को। फिर हुयी छापेमारी और माल जब्ती की कारवायी। जिसमें कुछ मामूली माल चिरेका से चोरी गये सामान से मिलता जुलता है भी अन्य माल के साथ हावड़ा आरपीएफ द्वारा जब्त किया गया और गिरफ्तारी भी की गई।

सूत्रों के अनुसार कुशवाहा को हावड़ा बुलाकर एएससी ने पूछताछ की उसके बाद ही 20 जून को कोलकाता के आरपीएफ के उच्च अधिकारियों के हस्तक्षेप से चोरी का मेमो चिरेका के संबंधित आरपीएफ पोस्ट द्वारा लिया गया और मामला दर्ज किया गया। इसी अपराध को दबाने, कर्तव्यहीनता जैसे आरोप में दो निरीक्षकों को निलंबित किया गया।

इस चोरी में बड़े-बड़ों का हाथ है। नहीं तो जब मामला 28 मई को ही संज्ञान में आ चुका था तब क्यों नहीं त्वरित कारवायी की गई। सभी गेट पर सीसीटीवी कैमरा है, डॉग को बुलाया जाता, फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट को बुलाया जाता।

परन्तु मामले को दबाने और मैनेज करने का भरपूर प्रयास किया गया। साथ ही सबूत सीसीटीवी फुटेज इत्यदि को समाप्त होने दिया गया, परन्तु फोरेंसिक विभाग द्वारा अभी भी फुटेज को प्राप्त किया जा सकता है। आखिर उतना वजनदार माल किसी वाहन और किसी गेट से ही गया होगा। प्रत्येक गेट में सीसीटीवी कैमरा है।

कुछ कयास तो यह भी लगाया जा रहा है कि माल धीरे-धीरे थोड़ा थोड़ा करके गायब हुआ।परन्तु धीरे-धीरे हो, थोड़ा थोड़ा हो,एक साथ हो,रेल सम्पति की सुरक्षा की जिम्मेवारी तो आरपीएफ की ही है। गेट ड्यूटी वाले की भी जिम्मेवारी है।चिरेका के सभी स्टोर का भी भेरिफिकेशन करवाया जाना चाहिए, जिससे और भी कहीं इस तरह की घटना घटित हुयी हो तो पत्ता चल सके। मामला करीब 22 लाख से ज्यादा का चोरी का है। इसीलिए उम्मीद है दूध का दूध और पानी का पानी होगा। अभी तो सभी संदिग्धों की धरपकड़ एवं अन्य सबूत इत्यादि इकट्ठा कर विश्लेषण कर विभाग संदिग्धों की पहचान स्थापित करेगा।

प्राईवेटाईजेशन के इस युग में रेलवे का ही माल है साबित करना बड़ी चुनौती है। जब बड़े बडों का हाथ होने की आशंका है तो कानूनी दाँव पेंच भी खूब चलेगा। जो रक्षक वेश में भक्षक हैं या कर्मचारी हो या बड़ा अधिकारी चोरी में लिप्त है उसपर कठोर कारवायी करने की अपेक्षा इमानदार कर्मी कर रहे हैं।

कई बार राजपत्रित अधिकारियों की भ्रष्टाचार में संलिप्तता पाये जाने पर विभाग के अन्य भ्रष्ट अधिकारियों की लॉबी सक्रिय हो जाती है और दबाव बनाया जाने लगता है। अभी सही सही चोरी की मात्रा को जानने के लिए एक भेरिफिकेशन कमिटी बनायी गयी है जिसमें आरपीएफ के भी एक अधिकारी हैं। जो कुशवाहा के कब्जे के माल को मय चालान के कितना स्टॉक में आया और कितना गया का मिलान किया जा रहा।

चूंकि विगत नवम्बर 2018 के बाद से चोरी के बीच कुशवाहा के स्टोर के माल की कोई निलामी नहीं हुयी है।

Last updated: जुलाई 26th, 2019 by kajal Mitra