दो दिवसीय उर्स जहाँगीरी सम्पन्न, हज़रत आसी पिया ने शुरू कराया था यह उर्स जहाँगीरी
लोयाबाद में दो दिवसीय उर्स जहाँगीरी सम्पन्न
हज़रत आसी पिया ने शुरू कराया था यह उर्स जहाँगीरी
हक़ परस्त बनो, नफ़्स परस्त मत बनो– मौलाना राशिद रज़ा
लोयाबाद : लोयाबाद सात नंबर में दो दिवसीय उर्स जहाँगीरी सम्पन्न हुआ। हर साल की तरह इस साल भी बड़े ही शानदार तरीके से यह उर्स मनाया गया। सोमवार की शाम में मीलाद शरीफ़,हल्क़ा ए ज़िक्र और शव बेदारी हुई और मंगलवार की सुबह कुरानखानी, हल्का -ए-ज़िक्र, कुल शरीफ और व दुआ ए ख़ैर हुई। इसके बाद, लंगरे आम का आयोजन किया गया, जिसमें सभी समुदाय के लोगों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।
इस उर्स पाक के सरपरस्त यूपी के बलरामपुर ज़िला के उतरौला शरीफ के साहबे सज्जादा, ख़लीफ़ा ए हुज़ूर मुफ़्ती ए आज़मे हिन्द, शहज़ादा ए हुज़ूर फैज़ुल आरिफ़ीन अल्लामा शाह ग़ुलाम आसी पिया हसनी, अता ए रसूल अल्हाज मौलाना राशिद रज़ा आसवी और नायबे साहबे सज्जादा डॉ० ग़ुलाम यज़दानी आसवी भी मौजूद थे।
कुल शरीफ का हुआ आयोजन
दो रोज़ा इस उर्स पाक में सुबह कुल शरीफ का आयोजन हुआ। इलाहाबाद से आए हुए नौजवान मौलाना महबूब आलम साहब और ग़ुलाम ग़ौस आसवी ने क़ुल शरीफ में अरबी शजरा शरीफ पारम्परिक रूप से सुनाकर लोगों को भोर विभोर कर दिया।
पुरुलिया बंगाल के मौलाना ज़ाहिद उल कादरी ने सरकार आसी पिया की शान में नात और मनकबत पेश किया और हज़रत आसी पिया की शख्सीयत पर रौशनी डाली।
साहिबे सज्जादा अता ए रसूल मौलाना राशिद रज़ा आसवी ने अपने बयान में कहा कि हमारे यहाँ हमारे सिलसिले में हमारे बुजुर्गों के जरिए से जब नवाजा जाता है,तो पूरा सजा दिया जाता है। आदमी को समझ में नहीं आता कि कहाँ से कहाँ पहुँच गया है और कहाँ से मिल रहा है, लेकिन जब उसकी पकड़ होती है तो उसे पाताल में धंसा दिया जाता है। आसी पिया भी कहते थे कि हक़ परस्त बनो, नफ़्स परस्त मत बनो।
हज़रत आसी पिया ने शुरू कराया था यह उर्स जहाँगीरी
इस उर्स पाक का आयोजन पिछले 33 सालों से लोयाबाद सात नंबर में किया जा रहा है। यह उर्स हज़रत आसी पिया हसनी ने शुरू कराया था। यह उर्स जहाँगीरी हज़रत अल्लामा व सूफ़ी सैयद शाह अब्दुल हई चाटगामी (र.अ.) की याद में मनाया जाता है। उनका मज़ार शरीफ बंगलादेश के चाटगाम शरीफ में है। इस उर्स को सफल बनाने में हाजी अब्दुल कुद्दुस आसवी, सूफी ज़ुल्फ़क़ार आसवी, सूफी मकसूद उल हसन आसवी, अब्दुस्सत्तार आसवी, ज़ाहिद आसवी, निसार मंसूरी, इकराम आसवी, मोo जसीम आसवी, मोo आजाद आसवी, ग़ुलाम ग़ौस आसवी आदि सक्रिय योगदान रहा। इसके अलावाके अलावा महिलायेंं और बच्चे भी बहुत संख्या में मौजूद थे।
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