ट्रिपल तलाक लोक सभा में पास, कांग्रेस ने किया वॉक-आउट

काफी हंगामे के बाद आखिर लोकसभा में तीन तलाक़ पर लाया गया संशोधित विधेयक को पारित हो गया , कांग्रेस और अन्नाद्रमूक ने बिल का बहिष्कार करते हुए वॉकआउट किया। कांग्रेस और अन्ना द्रमूक बिल विचार के लिए संसद की संयुक्त चयन समिति के पास भेजने की मांग कर रहे थे.

विपक्ष इस कानून में सज़ा का प्रावधान रखने का विरोध कर रहा था

विपक्ष की दलील थी कि ये विधेयक सुप्रीम कोर्ट के आदेश और संविधान के ख़िलाफ़ है। ऐसे में इस क़ानून का ग़लत इस्तेमाल हो सकता है । कांग्रेस समेत ज़्यादातर विपक्षी पार्टियाँ तीन तलाक़ को अपराध क़रार दिए जाने का ये कहते हुए विरोध करती रही कि किसी और धर्म में तलाक़ के मामले में ऐसा नहीं होता ।

नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यह एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण बिल है और इसके डिटेल में जाना जरूरी है। खासकर, जब कांस्टीट्यूशन 13(2), कांस्टीट्यूशन आर्टिकल 14,15, 21 और 29 का वाइलेशन होता है, तो इसीलिए ये कांस्टीट्यूशनल मैटर भी है। एक धर्म के अंदर सरकार इंटरफियर करके अपने कानून बनाए, यह किस हद तक ठीक है? तो इसकी जाँच लोग कर सकते हैं। इसीलिए मैं आपसे रिक्वेस्ट करता हूँ और गवर्नमेंट से भी रिक्वेस्ट करता हूँ कि इसको ज्वाइंट सेलेक्ट कमिटी को आप भेजिए। उन्होंने कहा कि यह एक महत्त्वपूर्ण बिल है क्योंकि ये कम से कम 15-20 करोड़ महिलाओं से संबंधित है और उनकी रक्षा एक तरफ है और दूसरी तरफ 25-30 करोड़ माइनॉरिटीज की समस्या भी है। इसलिए इसको सुलझाना है तो मैं आपसे विनती करता हूँ कि इसे ज्वाइंट सेलेक्ट कमिटी को भेजा जाए।

इसे अब राज्यसभा में पास करवाना होगा

पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक़ को अवैध क़रार दे दिया था. इसके बाद सरकार तीन तलाक़ पर संसद में एक विधेयक लेकर आई. लोकसभा में ये बिल पास हो गया था मगर राज्यसभा में यह पारित नहीं हो सका । विपक्ष लगातार इस कानून में कुछ बदलाव की मांग कर रहा था। इस बीच सरकार अध्यादेश के जरिये अपने कानून को प्रभावी बनाए हुये थी लेकिन अध्यादेश के नियमों के अनुसार छः महीने के भीतर इसे संसद में पास करवाना होता है। इसलिए सरकार दुबारा कुछ संसोधनों के साथ इस विधेयक को लोकसभा लेकर आई जहाँ 11 के मुक़ाबले 245 मतों से विधेयक पास हो गया।

नए विधेयक के प्रावधान

नए विधेयक में पहले के तरह तीन साल जेल का प्रावधान किया गया है. इसके तहत तीन तलाक़ गैरज़मानती होगा अर्थात अभियुक्त को ज़मानत थाने में नहीं दी जा सकती. ज़मानत के लिए उसे मजिस्ट्रेट के पास जाना ही होगा. कोर्ट में पत्नी की सुनवाई के बाद ही पति को ज़मानत मिल सकेगी. ज़मानत तभी दी जाएगी जब पति विधेयक के अनुसार पत्नी को मुआवज़ा देने पर सहमत हो। मुआवज़े की राशि मजिस्ट्रेट द्वारा तय की जाएगी.

क्या है मामला ?

इस कानून में जिस तलाक की बात हो रही है उसे तलाक़-ए-बिद्दत या इंस्टेंट तलाक़ कहते हैं जो दुनिया के बहुत कम देशों में चलन में है, भारत उन्हीं देशों में से एक है।

एक झटके में तीन बार तलाक़ कहकर शादी तोड़ने को तलाक़-ए-बिद्दत कहते हैं । ट्रिपल तलाक़ लोग बोलकर, टेक्स्ट मैसेज के ज़रिए या व्हॉट्सऐप से भी देने लगे हैं. जिसका लगातार विरोध मुस्लिम समुदाय के भीतर से भी उठता रहा है। एक मुस्लिम मुस्लिम महिला के सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर करने के बाद से ही पूरे मामले की शुरूआत हुई ।

Last updated: दिसम्बर 27th, 2018 by Rizwan Raza

Rizwan Raza
Bureau , New Delhi
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