धनबाद । झारखंड राज्य स्थापना दिवस और बिरसा मुंडा जयंती के शुभ अवसर पर जिला प्रशासन के कई वरीय अधिकारियों ने सोमवार की सुबह बैंक मोड़ बिरसा चौक पर पहुँच कर भगवान बिरसा मुंडा की आदमकद प्रतिमा को नमन कर माल्यार्पण किया। भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर भारत सरकार द्वारा घोषित जनजातीय गौरव दिवस भी मनाया जा रहा है। कार्यक्रम में जिले के उपायुक्त संदीप सिंह, वरीय पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार सहित अपर जिला दंडाधिकारी, ग्रामीण पुलिस अधीक्षक ने भी माल्यार्पण कर भगवान बिरसा मुंडा को नमन किया।
कौन हैं भगवान बिरसा मुंडा आइये जानते और समझते हैं
मालूम हो कि बिरसा मुण्डा का जन्म 15 नवम्बर 1875 के दशक में एक गरीब परिवार में हुआ था। मुण्डा एक जनजातीय समूह था, जो छोटा नागपुर पठार (झारखण्ड) निवासी था। बिरसा जी को 1900 में आदिवासी लोगों को संगठित देखकर ब्रिटिश सरकार ने गिरफ्तार कर लिया था। उन्हें 2 साल का दण्ड दिया गया।
1 अक्टूबर 1894 को नौजवान नेता के रूप में सभी मुंडाओं को एकत्र कर इन्होंने अंग्रेजों से लगान (कर) माफी के लिये आन्दोलन किया। 1895 में उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया और हजारीबाग केन्द्रीय कारागार में दो साल के कारावास की सजा दी गयी, लेकिन बिरसा और उसके शिष्यों ने क्षेत्र की अकाल पीड़ित जनता की सहायता करने की ठान रखी थी और उन्होंने अपने जीवन काल में ही एक महापुरुष का दर्जा पाया। उन्हें उस इलाके के लोग “धरती बाबा” के नाम से पुकारा और पूजा करते थे।
बिरसा मुण्डा की समाधि राँची में कोकर के निकट डिस्टिलरी पुल के पास स्थित है। वहीं उनका स्टेच्यू भी लगा है। उनकी स्मृति में रांची में बिरसा मुण्डा केन्द्रीय कारागार तथा बिरसा मुंडा अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र भी है। 10 नवंबर 2021 को भारत सरकार ने 15 नवंबर यानि बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है। जिसका आयोजन देश भर में किया जा रहा है इसी उपलक्ष्य में भगवान बिरसा मुंडा को झारखण्ड के धरती बाबा व महापुरुष कहकर भी नमन किया जाता हैं।