रानीगंज विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं की भूमिका इस बार के लोकसभा चुनाव में भी अहम होगी । पिछले चुनाव में बीजेपी को यहाँ से लीड मिली थी लेकिन इस बार के चुनाव में त्रिकोणीय संघर्ष देखने को मिल रही है। भाजपा , माकपा और तृणमूल कॉंग्रेस तीनों की ओर से धुआंदार प्रचार प्रसार की जा रही है। अब तक यहाँ तृणमूल कॉंग्रेस और भाजपा के बीच चुनावी टक्कर देखा जा रहा था लेकिन कल के माकपा चुनाव प्रचार को देखते हुए यह स्पष्ट होने लगी है कि त्रिकोणीय मुकाबला तय है।
लोकसभा में भाजपा को लीड मिली थी , विधान सभा में वाम को और नगर निगम में तृणमूल को
वर्ष 2014 के चुनावी परिणाम की ओर देखें तो यहाँ से भाजपा ने 13000 मतों से आगे रही थी । लेकिन पूरे संसदीय परिणाम को देखें भाजपा प्रार्थी बाबुल सुप्रियो को 4,19, 983 तृणमूल प्रार्थी डोला सेन को 3 ,49 ,503 एवं वाम प्रत्याशी वंशो गोपाल चौधरी को 2,55, 829 मत मिले थे । जिसमें रानीगंज विधानसभा क्षेत्र से 1,70 ,538 मत पड़े थे । इसमें से भाजपा को 61, 758 मत तृणमूल कॉंग्रेस को 4 8 , 7 6 6 मत तथा वाममोर्चा को 45 , 36 1 मत मिला था।
वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव में स्थिति में काफी बदलाव देखने को मिली । प्रथम चरण में यहाँ मुकाबला त्रिकोणीय दिखाई पड़ रही थी। पर यह चुनावी सीधे तौर पर वाममोर्चा और तृणमूल कॉंग्रेस के बीच हो गई । वाममोर्चा कि प्रार्थी रुनु दत्ता को 44 फ़ीसदी व 74, 995 मत मिले । दूसरे स्थान पर तृणमूल विधायक सोहराब अली की पत्नी नरगिस बानो को 36 फ़ीसदी अर्थात 62, 610 मत तथा भाजपा को मात्र 18 फीसदी यानि 32, 214 मत मिले। वाममोर्चा यहाँ से 12, 350 मतों से विजय हुए थे। इतना ही नहीं निगम के चुनाव में कुले 11 सीटों में 6 सीटों पर तृणमूल कॉंग्रेस का दखल रहा जबकि 5 सीटों पर वाममोर्चा का। भाजपा को एक भी सीट यहाँ से नहीं मिली थी।
रानीगंज विधानसभा क्षेत्र अन्य विधानसभा क्षेत्र से अलग है । इस क्षेत्र में एक तरफ जहाँ ग्रामीण इलाका है , कोलियरी है तो वहीं शहरी इलाका भी इस विधानसभा में है । उखड़ा अंडाल , काजोड़ा जैसा विस्तृत इलाक़ा है । मिला जुला कर स्थिति यह है कि कहीं श्रमिक संगठनों का दबदबा है तो कहीं ग्रामीण अंचल के लोगों का ।
इस बार के चुनाव में मोदी फैक्टर भी काम कर रही है
शहरी इलाके में अलग स्थिति है । शहरी दृष्टिकोण से देखें तो तृणमूल कॉंग्रेस एवं वाम मोर्चा का वर्चस्व जरूर है लेकिन इस बार के चुनाव में मोदी फैक्टर भी काम कर रही है जो शहरी इलाके में खुलेआम देखने को मिल रही है । इतना ही नहीं पिछले दिन रानीगंज शहरी इलाका में आपसी मतभेद भी इस चुनाव में दिख रही है ।
आरोप-प्रत्यारोप का बाजार गर्म है
इस चुनाव में आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी देखने को मिल रही है जिसमें एक और सांसद बाबुल सुप्रियो पर सीधा आरोप है कि इस क्षेत्र के विकास के लिए कुछ भी नहीं किया यहाँ तक की दिखे तक नहीं । वहीं उनके समर्थकों का कहना है कि बाबुल सुप्रियो बहुत कुछ करना चाहते थे और किया भी है । आज हवाई अड्डा का मामला देखें उन्हीं के बदौलत संभव हो पाया है । अनेकों बाधाएं उन्हें दी जाती रही इसके बावजूद भी वह काम करते रहे ।
तृणमूल कॉंग्रेस के समर्थकों का कहना है कॉरपोरेशन के तहत रानीगंज जाने के बाद से ही इस अंचल का विकास शुरू हो गया वर्षों से लंबित परियोजनाएँ शुरू की गई । रानीगंज के लाइफलाइन माने जाने वाले , एन एस बी रोड का चौड़ीकरण एवं जाम की समस्या को लेकर तृणमूल ने ही पहल शुरू की ओर बायपास मार्ग को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए कार्यवाही की गई लेकिन तृणमूल कॉंग्रेस एवं भाजपा का विरोध करते हुए वामपंथी समर्थकों का कहना है कि मात्र आई वाश करने के लिए यह लोग काम करते रहे हैं । बुनियादी तौर पर कोई भी कदम इस अंचल के विकास के लिए नहीं किया गया । वाममोर्चा की सरकार ने जो कुछ किया उसे संभाल कर भी नहीं रख पाए।