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मैथन डैम में पर्यटकों का आना हुआ शुरू , सजने लगी दुकानें

कल्याणेश्वरी। प्राकृतिक की गोद में बसे मैथन पहाड़ियों के बीच कल-कल बहती नदी और डैम की जलाशय के बीचों-बीच द्वीपों का समूह यकीनन मैथन डैम को छोटा कश्मीर की संज्ञा देती है। नव वर्ष आगमन के 25 दिसंबर से ही यहाँ सैलानियों की धमाचौकड़ी बढ़ जाती है। यह सिलसिला 26 जनवरी तक बनी रहती है।

मैथन आने वाले सैलानियों के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन कुमारधुबी और बरकार है। पर्यटक अमूमन आसनसोल रेलवे स्टेशन से ही ज्यादातर मैथन पहुँचते है। यहाँ से मिनी बस अथवा टैक्सी के माध्यम से मैथन पहुँच जा सकता है।

मैथन डैम तथा कल्याणेश्वरी मंदिर के निकट लगभग 2 दर्जन होटल दिसंबर माह से ही सैलानियों से खचाखच भर जाते हैं । बाकी पर्यटक प्रतिदिन कोलकाता, बांकुड़ा, मेदिनीपुर, 24 परगना, मुर्शिदाबाद, बीरभूम आदि क्षेत्रों से बस में सवार होकर मैथन पहुँचते और वनभोज के बाद वापस लौट जाते है।

सजने लगी दुकाने

अनुमानित आंकड़े के अनुसार मैथन में प्रतिदिन 100 बस एवं 100 छोटी वाहनों का आगमन होता है। किंतु 25 दिसंबर, 1 जनवरी और प्रत्येक रविवार को इस संख्या में भारी वृद्धि हो जाती है। ऐसे में मैथन क्षेत्र के ऑटो चालक भी इस दिन का पूरे वर्ष बेसब्री से इंतज़ार करते है। पूरी विधि व्यवस्था की जिम्मेवारी सालानपुर थाना एवं कल्याणेश्वरी पुलिस की होती है । वहीं सुविधा और व्यवस्था सालानपुर पंचायत समिति एवं देंदुआ ग्राम की भूमिका भी रहती है ।

पर्यटकों से वसूला जा रहा है पार्किंग शुल्क

नव वर्ष पर मैथन डैम में लगने वाली दुकान यहाँ की शोभा और भी बढ़ा देती है। दूर दराज से आये दुकानदार की दुकानों में भारतीय संस्कृति और हस्तशिल्प कला से बनी वस्तुएं से दुकानें सज जाती है। खास कर बाँकुड़ा और विष्णुपुर के शिल्पकारों द्वारा बनाई गई कलाकृति, बांस से बनी वस्तु, और शंख से निर्मित कलाकृति आकर्षण का केंद्र बना रहता है। सैलानियों के लिए डैम में नौका विहार के लिए स्पीड बोड, पाईडल बोड समेत देशी नाव सज धज कर तैयार रहती है।

समुचित विकास नहीं होने से व्यवसाइयों में नाराजगी

शनिवार से मैथन में आने वाले सैलानियों के वाहनों से टोल टैक्स चालू कर दिया गया है। मैथन से जुड़े व्यवसायी एवं सामाजिक लोगों का कहना है, कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री पूरे बंगाल में विकास कर रही है किंतु मैथन को पर्यटन हब बनाने का सपना आज भी अधूरा है, जानकारों की माने तो मैथन में बीते लगभग 20 वर्ष से रोपवे, पैरा ग्लाइडिंग, पैरा शिलिंग एवं टूरिज्म सेंटर बनाने की योजना आज भी सरकारी फाईलों में धूल फांक रही है।

Last updated: दिसम्बर 14th, 2019 by Guljar Khan