खरना का मतलब शुद्धिकरण है। खरना के दिन विशेष प्रसाद बनाया जाता है। खरना के दिन व्रती दिनभर व्रत रखते हैं और रात में प्रसाद ग्रहण करते हैं।
देशभर में छठ पूजा की धूम मची हुई है। छठ पर्व की शुरूआत नहाय-खाय के साथ हो चुकी है। कोरोना काल में सभी लोगों से घर में रहकर छठ पूजा करने की अपील की जा रही है। छठ पर्व के पहले दिन नहाय-खाय होता है। इसके अगले दिन खरना होता है, जिसे लोहंडा भी कहा जाता है। छठ पूजा पर खरना का विशेष महत्त्व होता है।
आज से शुरू हो रहा आस्था का महापर्व, छठ पर बनती हैं ये स्पेशल चीजें नहाय-खाय के अगले दिन खरना किया जाता है। छठ पूजा का व्रत रखने वाले लोग खरना के दिन व्रत रखते हैं, बाद में रात को खीर खाते हैं। इसके बाद सूर्य को अर्घ्य देन से पारण करने तक कुछ खाते-पीते नहीं हैं। खरना एक प्रकार से शुद्धिकरण की प्रकिया है। खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद अगले 36 घंटे का कठिन व्रत रखा जाता है। पहली बार रख रही हैं व्रत तो जानिए पूजा सामग्री और विधि के बारे में खरना के दिन प्रसाद के रूप में गुड़ और चावल की खीर बनाई जाती है। इसके अलावा पूड़िया, ठेकुआ, खजूर बनाया जाता है। पूजा के लिए मौसमी फलों और सब्जियों का इस्तेमाल होता है। एनएफ. खरना के दिन प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रत की शुरुआत होती है. खरना के दिन से छठ पूजा समाप्त होने तक व्रत करने वाले लोग चादर बिछाकर सोते हैं।