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पंचायत चुनाव में तृणमूल गदगद, केंद्र में भाजपा की सीटें हुई कम

फ़ाइल फोटो

आसनसोल -पश्चिम बंगाल में हुए पंचायत चुनाव में राज्य की सत्ता दल तृणमूल कांग्रेस को भारी मतों से मिली जीत पर पार्टी गदगद है, लेकिन निश्चिंत नहीं. चूँकि अगले वर्ष लोकसभा चुनाव है और तृणमूल इस चुनाव को भी अपने पाले में करने के लिए अभी से ही प्रयासों में जुट गई है. खबरों की माने तो इसके लिए पार्टी नेतृत्व अपनी मंत्री मंडल में भी फेर बदल कर सकती है. इसके आलावा जिला स्तर पर निर्देश दिए गए है कि बूथ लेबल से सांगठनिक कार्य जारी रहे. राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को घर-घर तक पहुँचाया जाए, ताकि राज्य की जनता उन योजनाओं को जाने और उसका लाभ उठा सके. पाँच आयात चुनाव के दौरान जिन क्षेत्रों में तृणमूल कांग्रेस की पकड़ ढीली रही है या जहाँ विपक्षी अधिक जोर लगा रहे है, खास ध्यान देने को कहा गया है. सूत्रों के अनुसार मंत्रीमंडल में भी बदलाव किये जाएँगे. कही किसी मंत्री का पद जायेगा और कही किसी मंत्री को अतिरिक्त पदभार या दायित्व भी सौंपा जा सकता है. खबरों के अनुसार सांसद अभिषेक बनर्जी, खेल मंत्री अरुप विश्वास को और अधिक जिम्मेवारी मिल सकती है और माना जा रहा है कि इन दो नेताओं पर लोकसभा चुनाव सफल करने की भी जिम्मेवारी दी जा सकती है. कोलकाता नगर निगम के मेयर सह मंत्री शोभन चटर्जी से पार्टी नेतृत्व कुछ खफा दिख रहे है, इसलिए उनका पॉवर में कुछ कटौती हो सकती है. राज्य में विपक्ष का दर्जा हासिल कर चुकी भर्तोय जनता पार्टी अभी भी बंगाल में अपने पैर जमाने में सफल नहीं हो पाई थी कि अब भाजपा सरकार की केंद्र से बहुमत खिसक गया है. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा अपने दम पर बहुमत हासिल कर 282 सीटें जीतने में सफल रही थी. अब यह पार्टी चार वर्ष के बाद अकेले बहुमत से दूर हो चुकी है. बहुमत के लिए जरूरी 272 सीटों के आंकड़े से भाजपा पीछे खिसक गयी है. स्पीकर को छोड़कर भाजपा के पास लोकसभा में केवल 270 सीटें बची हैं. जानकारी की माने तो चार वर्षों में भाजपा की सीटें घटने के बड़े मायने हैं. इससे एनडीए के सहयोगी दलों पर पार्टी की निर्भरता बढ़ गयी है. भाजपा की सीटें कम होने की वजह पिछले कुछ दिनों में हुए लोकसभा उपचुनावों में उसकी हार और उसके कुछ सांसदों का इस्तीफा है.

Last updated: मई 23rd, 2018 by News Desk