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पेड़ कटाई की अनुमति में झोल, रक्षक ही बन रहा है पर्यावरण का भक्षक

सालानपुर| देन्दुआ से कल्याणेश्वरी जाने वाली मार्ग पर स्थित इसीएल रीजनल अस्पताल के निकट पांच पेड़ (आम,चौड़रा,अर्जुन,ताल समेत अन्य) को निर्दयता के साथ काट दिया गया|

हलाकि पीछे इसीएल की तथा सामने पीडब्लूडी की जमीन है, दोनों जमीन के बिच कुछ फिट जमीन को प्लोटिंग करके दुकान के लिए बेचा जा चूका है|

ऐसे में उक्त जमीन पर पहले से कई पेड़ था, जिसे योजनाबद्ध तरीके एवं मिलीभगत के साथ काटने को अंजाम दिया गया| सवाल पूछो तो एक ही जवाब मिला परमिसन लेकर काटा गया है|

अब सवाल यह उठता है की अनुमति देने वाला विभाग और पंचायत नियम को ताख पर रखकर कुछ भी कर सकता है? पॉवर का दुरुपयोग कैसे किया जाता है आप यहाँ की यथास्थिति को देखकर स्वय अनुभव कर सकते है|

चर्चा है की यहाँ पर पेड़ो को काटने और जमीं के लिए पैसों की बंदरबांट की गयी, इतना ही नहीं जमीं को लेकर भी चर्चाओं का बाज़ार गर्म है|

पुरे प्रकरण में इसीएल और पीडब्लूडी विभाग मौन है, रही वन विभाग की बात तो सितम्बर माह तक जोर शोर से वन सप्ताह मानाने वाला विभाग अक्तूबर माह की बाट जोह रहा था, बस पेड़ काटने की अनुमति हाथों हाथ दे दी गयी|

दो व्यक्तियों द्वारा अनुमति मांगी गयी थी, जिसमें एक में ताल और चौड़रा अंकित है, वाही दुसरे में आम का पेड़ लिखा गया है, अगर तिन पेड़ की अनुमति थी तो फिर पांच पेड़ कैसे काट लिया गया|

अनुमति की कागजात को देखे तो पूरा झोल साफ दिखता है, जरुरत से जादा ओवर राइटिंग की गयी है| वही कागजात अनुमति के लिए होदला बिट आफिसर रिंटू कहार एवं देन्दुआ ग्राम पंचायत प्रधान शुप्रकाश माज़ी द्वारा हस्ताक्षर किया गया है|

अनुमति पेट काटने के कारण (डेंजर कंडीशन) खतरे की स्थिति बताया गया है, ऐसे में सवाल उठता है की जिस स्थान पर पेड़ काटा गया वहां कोई घर ही नहीं है तो खतरे की बात कैसे हो गयी, दुकान अथवा घर बनाए की लिए अगर पेड़ काटा गया तो इस कारन को क्यों नहीं दर्शाया गया| पुरे प्रकरण को देखे तो सब गोलमाल है|

मामले को लेकर जिला वन अधिकारी बुद्धदेव मंडल ने कहा की मामले की सुचना मिली है, साथ ही इस सन्दर्भ में स्थानीय वन अधिकारीयों को जाँच के लिए निर्देश दिया गया है|

वही इस सन्दर्भ में देन्दुआ ग्राम पंचायत प्रधान शुप्रकाश माज़ी ने कहा की वह निजी जमीन नाकड़ाजोडीय मौजा, जेएल नंबर 026, प्लाट नंबर 935 एवं 135 है, जिसे जमीन ब्रोकर दवरा दुकान बनाने के लिए पंचगोपाल पाल एवं मनोतोश गोराई को बिक्री किया गया था, जिनके दवरा पेड़ काटने की अनुमति मांगी गयी थी|

Last updated: अक्टूबर 29th, 2023 by Guljar Khan