टिटही के रैयतों ने पोकलेन मशीन को रोका, मकान व दुकान तोड़ने की मिली धमकी, लोग डर के साये में जीने को विवश
चौपारण प्रखंड के सिंघरावां पंचायत के जीटी रोड टिटही के भू-रैयतों ने न्यायालय में परिवाद दायर करते हुए उचित मुआवजे की मांग किया था। रैयतों का कहना है कि लगभग 50 वर्षों से यह भूमि कॉमर्सियल के रूप में उपयोग करते हुए सरकारी राजस्व देते हुए खरीद-बिक्री किया जा रहा है। इसके बाद भी भू-अर्जन विभाग टिटही को 3 नंबर टांड का दर्जा देकर कूड़े की भाव मुआवजा राशि तय कर रैयतों घुट-घुट कर मरने पर विवश कर दिया है। रैयतों द्वारा न्याय की गुहार पर अपर समाहर्ता न्यायालय ने परिवाद का उचित करवाई की प्रक्रिया पूरी कर जिला भू-अर्जन और एनएचआई को आदेश दिया था कि रैयतों को उचित मुआवजा राशि दिया जाय। अपर समाहर्ता न्यायालय के आदेश को नकारते हुए उनके विरुद्ध एनएचआई ने जिला न्यायालय में अपील किया, जो न्यायालय में मामला लंबित है। एनएचआई एक तरफ अपर समाहर्ता न्यायालय के आदेश का विरोध कर न्यायालय में अपील किया है। दूसरी तरफ टिटही के रैयतों को मीठी जहर की बोली बोलकर तोड़ने पर विवश कर रही है। मालूम हो कि न्यायालय अपर समाहर्ता आर्बिट्रेटर एनएच-2 हजारीबाग ने बजरिये नोटिस देकर चौपारण प्रखंड के सिंघरावां पंचायत के एनएच 2 के किनारे बसे टिटही के रैयतों को अपर समाहर्ता दिलीप तिर्की ने 5 दिसंबर 2017 को कन्या प्राथमिक स्कूल टिटही में न्यायालय शिविर का आयोजन किया था। अपर समाहर्ता ने दोनों गाँव के रैयतों की मांग एवं समस्याओं को एक-एक कर सुने। जिसमें रैयतों की भूमि और उस पर व्यवसाय कर जीवन यापन करने के लिए संचालित दुकान को कौड़ी के भाव से मुआवजा दिये जाने की बात सुनी। कम मुआवजे राशि से आहत होकर टिटही के भू रैयत मिथिलेश्वर प्रसाद राणा, बीरेंद्र कुमार राणा, किशुन राम, अजय कुमार सिन्हा, ललिता देवी, प्रकाश राम, गिरधारी राम, लालजी राम, रामाधीन राम, मनोरमा देवी (अशोक सिन्हा), काली राम, जगन्नाथ राम, सीताराम वर्मा, चमरू राम, नितेश कुमार एवं बच्छई के महेंद्र कुमार राणा ने न्यायालय का शरण लिया था। जिसका निष्पादन कन्या प्राथमिक विद्यालय टिटही में अपर समाहर्ता तिर्की द्वारा कर आश्वासन के पाँच माह बाद पुनः जाँच टीम गठित कर सीआई नवल किशोर, हल्का कर्मचारी मो० समीम अंसारी, अमीन बिरजू राणा टिटही एवं बच्छई एनएच 2 स्थल निरीक्षण कर अपना रिपोर्ट जमा किये थे। न्यायालय के सभी प्रक्रिया पूर्ण किये चार साल से अधिक समय होने को है। इसके बाद भी रैयतों को उचित मुआवजा राशि नहीं मिला है। जिससे रैयतों के बीच असंतोष की भावना उत्पन्न होने लगा है। अब सवाल उठता है कि एनएचआई अपर समाहर्ता न्यायालय के आदेश का खिलाफ कर अपील किया है। मकान और जमीन छीन जाने के बाद रैयत न घर का और न ही घाट का रह जायेगा। टिटही-बच्छई के रैयतों ने मांग किया है कि अपर समाहर्ता न्यायालय को मानते हुए मुआवजा दिया जाय या एनएचआई द्वारा न्यायालय में किया गया अपील को न्यायालय द्वारा जजमेंट आने के बाद ही मकान तोड़ने और जमीन अधिग्रहित किया जाय। साथ ही कहा कि सिंघरावां को भी 3 नंबर टांड का दर्जा दिया गया था। जिसे निवर्तमान डीसी ने खारिज करते हुए उसे आवासीय भूमि का दर्जा देकर 2 हजार से बढ़ा कर 21 हजार रुपये डिशामिल कर रैयतों को मुआवजा दिया जा रहा है। तो फिर टिटही के रैयतों को अपर समाहर्ता के फैसले को क्यों नहीं माना जा रहा है।
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