लाश पर राजनीती, यह शब्द लिखने व बोलने में भी ख़राब लगता हैं किन्तु यही सत्य या विडंबना हैं की लोदना कोलियरी में कार्यरत पंप ऑपरेटर मदन बाउरी कि लाश अभी भी लोदना कोलियरी में वैसे ही पड़ा हुआ हैं और अपने मोक्ष को तरस रहा है । धन्य हैं वहाँ के प्रबंधक और यूनियन के प्रतिनिधि जो कि नये व पुराने नियम को लगाकर अभी तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँच सके हैं।
इस मामले में परियोजना पदाधिकारी आर टुण्डु ने बताया कि कंपनी के अधिकारी और यूनियन पर दोषारोपण करने लगे, एक कंपनी का पेपर से मदन बाउरी कर्मचारी कि आत्मा पंचतत्व में प्रवाहित नहीं हो पा रही हैं तो कौन जिम्मेदार हैं और कौन इसकी जिम्मेदारी लेगा, ना यूनियन प्रतिनिधि और ना ही लोदना क्षेत्र के कोई आलाधिकारी जिसकी गलती है जो कि अभी तक मदन बाउरी का पार्थिव शरीर अपने अंतिम क्रिया की आस देख रहा हैं, अगर राजनीति ऐसी होती हैं तो फिर और किया कहा जा सकता है। उसके छोटे-छोटे बच्चों के करनंदन से भी अगर प्रबंधक का मन विचलित नहीं हो रहा हैं तो और क्या किया जाए। समाचार लिखें जाने तक मदन बाउरी का पार्थिव शरीर लोदना कोलियरी में ही मौजूद था।