आस्था का पर्व चेती छठ धूम-धाम से मनाया गया
कार्तिक मांस में होने वाले छठ महापर्व को तो बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है और काफी संख्या में भी मनाया जाता है।लेकिन चैत्र मांस में होने वाले छठ जिसे लोग चैती छठ भी कहते हैं, बहुत ही कम लोगों के द्वारा मनाया जाता है।
18 अप्रैल को चैती छठ का पहला अर्घ्य देकर शिल्पाँचल में बहुत ही कम लोगों द्वारा बहुत ही सादगी के साथ मनाया गया। चैती छठ करना सबके बस की बात नहीं होती है। फिर भी आज के दौर में भी आस्था हर दुःख तकलीफ पर भारी है। एक तो चैत्र मांस में पड़ने वाली भीषण गर्मी जिसके कारण छठ व्रतियों को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। उस पर से इस महीने में हर इलाके के ताल तलैया ,नदी तालाब सारे सुख जाते हैं। गोविंद नगर, ज्योति नगर के निवासी मुकेश प्रसाद जो रेलवे में गार्ड के पद पर कार्यरत हैं। चैती छठ का उपवास खुद करते हैं। उन्होंने बताया कि आस-पास के ताल तलैया सुख जाने के कारण अपने छत पर ही कृत्रिम तालाब बना कर अर्घ्य दें देते हैं। छठ वर्ती ललिता देवी से पूछा गया कि इस करोना काल में उपवास करना कहाँ तक उचित है तब उन्होंने बड़े ही उत्साह से बताया कि जितनी भी गर्मी और तकलीफ हो छठ माई सब पार कर देती हैं । वो इस करोना को भी ख्तम कर देंगी।
कन्हैया कुमार राम
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