साहिबगंज। हम में से ज्यादातर लोगों के मन में धर्म, आस्था,भक्ति, अध्यात्म के प्रति केवल मन में विचार है। उसके प्रति उसके अंदर आंतरिक आत्मा में ईश्वर के स्वरूप दिखाई नहीं देता। चाहें वो किसी भी मजहब के हों। या हैं भी तो बहुत कम लोगों के हृदय में अध्यात्म है। जो किसी भी गाँव ,शहर, राज्य या देश की आस्था के प्रति प्रतीक को बिस्मृत करवाना नहीं चाहते। और जब -जब बिस्मृत करने या करवाने की बात सामने आई है। तब -तब विकृति उत्पन्न हुआ है। चाहे वहाँ के समाज के द्वारा हो या राज्य, देश ,या फिर प्रकृति के द्वारा हो या पंच परमेश्वर के रूप में हो, लेकिन हुआ जरूर है। इसके बहुत सारे उदाहरण हैं।
ऐसा ही कुछ साहिबगंज जिला के तालझारी प्रखंड के मसकलैया गाँव का है।जहाँ उस गाँव के आस्था के प्रतीक शिवमंदिर, N H-80 के अतिक्रमण के आगोश में है। लेकिन उसके बदले में 9,99324 रुपए का प्राक्कलन विभाग ने जारी किया है। सरकारी अधिकारी ने जो राशि प्रक्कलित की है, उससे जमीन भी खरीदना है, मंदिर भी बनाना है, और तो और मंदिर हेतु नई जमीन भी खरीदनी है। जो किसी भी प्रकार से संभव ही नहीं है।
स्थानीय ग्रामीणों ने प्राक्कलन अधिकारी से लेकर विभागीय अधिकारी को इस पर विचार करने हेतु जिला उपायुक्त को एक पत्र सौंपा है। पत्र में मंदिर के पुनः निर्माण एवं जगह क्रय करने के लिए अतिरिक्त राशि की मांग की गई है।
क्या ऐसे में पंच परमेश्वर की आवाज को अनसुनी करना चाहिए ? निश्चय ही हमारे जिला उपायुक्त महोदय से लेकर प्राक्कलन अधिकारी के लिए एक विचारणीय शब्द है। जो आज मसकलैया गाँव के समाज, अर्थात पंच परमेश्वर को आवाज उठानी पड़ी।