Site icon Monday Morning News Network

वासेपुर में खूनी खेल का आठ दिन पहले ही हो गया था आगाज, नन्हें को मौत की नींद सुलाने की पहले ही लिखी जा चुकी थी पटकथा

धनबाद। इतिहास गवाह है कि वासेपुर की सरजमीं पर जब भी कोई बड़ी वारदात होती है तो उसकी आहट कुछ दिन पहले ही मिल जाती है। महताब आलम उर्फ नन्हें की हत्या कोई अचानक हुई घटना नहीं है। नन्हें को मौत की नींद सुलाने की पटकथा वासेपुर में कई दिनों से लिखी जा रही थी। इस खूनी खेल को अंजाम तक पहुँचाने से आठ दिन पहले ही इसका आगाज हो गया था।

गैंगस्टर फहीम खान की बहन और प्रिंस खान और गोपी खान की माँ नासरिन खातून ने 17 नवंबर को मजिस्ट्रेट कोर्ट में एक घोषणा पत्र दिया था। नासरिन ने घोषणा पत्र के माध्यम से प्रिंस खान और गोपी खान को अपनी ज्यादाद से बेदखल करने की बात कही थी। वासेपुर को जानने वालों का कहना है कि वह महज घोषणा पत्र नहीं था बल्कि नासरिन ने अपने बेटों के मंसूबों को साफ कर दिया था। अनुमंडल कार्यालय के कार्यपालक दंडाधिकारी के समक्ष दिए घोषणा सह शपथ पत्र में बताया गया था कि 15 दिसंबर 2017 को उन्होंने मंसूर आलम और जमील अख्तर व कैसर नेजमी से छह कट्ठा जमीन खरीदी थी। उस जमीन पर वह मकान बनाकर रह रही हैं। उनके चार बेटे गोपी, बंटी, प्रिंस और गोडविन हैं। इनमें से दो पुत्र प्रिंस और गोपी का संबंध आपराधिक चरित्र के लोगों से है। जिस कारण आए दिन दोनों पुत्रों के विरुद्ध आपराधिक केस दर्ज होते रहते हैं। मैं अपने दोनों पुत्र प्रिंस और गोपी को अपने चल एवं अचल संपत्ति से विगत दो वर्ष से बेदखल कर चुकी हूँ। दोनों पुत्रों के किसी क्रियाकलाप से मेरा, मेरे पति और मेरे दो अन्य पुत्र का कोई सरोकार नहीं है। वे दोनों कहाँ रहते हैं, क्या करते हैं, इसकी मुझे जानकारी नहीं है।

घोषणा पत्र या कानून से बचने का हथकंडा!

नासरिन ने घोषणा पत्र में साफ कहा था कि वह इसलिए इसे तैयार कर रही हैं क्योंकि आवश्यकता पड़ने पर स्थानीय पुलिस और सक्षम न्यायालय में इसे प्रस्तुत कर सकूं। लिहाजा इस घोषणा पत्र से स्पष्ट है कि प्रिंस और गोपी की माँ और उसके परिवार वालों को पता था कि वासेपुर में जल्द कोई अनहोनी होने वाली है और घटना के बाद पुलिस उन पर दबाव बनाएगी। कानूनविद मानते हैं कि कुर्की जब्ती और कानूनी शिकंजे से बचने के लिए यह घोषणा पत्र तैयार किया गया है।

वासेपुर में बदल रहा क्राइम का ट्रेंड

वासेपुर का अतीत रहा है कि हत्या जैसे बड़े अपराध को अंजाम देने से पहले गैंग्स ऑफ वासेपुर के सदस्य पुराने मामले में सरेंडर कर जेल चले जाते थे ताकि कांड के बाद वे अपना ऐलिबाई (अन्यंत्र उपस्थिति) दिखा कर मुकदमों के पचड़ों से बच सकें। एक दशक पूर्व गैंग्स के सदस्यों के आत्मसमर्पण के बाद पुलिस चौकन्नी हो जाती थी। लेकिन नासरिन की घोषणा पत्र के अखबार में प्रकाशित होने के बावजूद न तो पुलिस जगी और न ही विरोधी (फहीम गुट) चौकन्ना हुआ। यह पहला मौका है जब प्रिंस खान सीधे सामने आकर कांड की जिम्मेवारी ली है।

Last updated: नवम्बर 27th, 2021 by Arun Kumar