भारतीय वायु सेना के द्वारा उठाया गया क़दम स्वागत के योग्य है। आज भारतीय सेना ने यह दिखा दिया कि उसे सिर्फ कहने पर नहीं,करने पर विश्वास है। हमारे 40 जवानों के शहीद होने से जितना दर्द हुआ था,आज दिल को उतना ही सुकून मिला है। पिछले दिनों मैंने कहा भी था कि सिर्फ कड़ी निंदा नहीं, कड़े क़दम उठाने की ज़रूरत है और आज वह क़दम भारतीय सेना ने उठा लिया है। आतंकवाद एक ऐसी वैश्विक समस्या है, जो इंसानियत का दुश्मन है। भारत देश शांति का अग्रदूत रहा है, लेकिन शांति-शांति का जाप करने से शांति नहीं आ सकती,बल्कि शांति के लिए आवश्यक प्रयास भी करना होगा। अब सेना के हाथ खोलने का समय आ गया है। उसे इस तरह के जवाबी कार्यवाही करने के लिए पूर्ण स्वैच्छिक स्वतंत्रता देनी चाहिए।
-ग़ुलाम ग़ौस आसवी, कवि-शिक्षक,मदनाडीह, धनबाद।
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Last updated: फ़रवरी 26th, 2019 by