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हावड़ा से पैदल चलकर झारखंड की सीमा तक पहुंचे दस मजदूर , चार दिन से थे भूखे , तृणमूल नेता की मदद

सालानपुर पेड़ की छाव में बेसुध और बदहवास पड़े मज़दूर , आगे का फासला तय करने को उठते और फिर लडखड़ा कर गिर पड़ते । दृश्य ऐसा मानो कि  सभी ने शराब पी रखी हो किन्तु यह व्यथा उन मजदूरों की है जिनके नशीब में शराब तो दूर की बात, चार दिनों से भोजन भी नसीब नहीं हुआ।

अलबत्ता बगल से गुजरती हुई पुलिस की जीप पर बैठे साहब जोर से चीखते हुए उन्हें आगे बढ़ने का निर्देश देते है, किन्तु पाँव के छाले और पेट की भूख ने मंजिल की राह में दीवार खड़ी कर दी थी । हावड़ा से चार दिन पूर्व अपने घर सरियाहाट दुमका जाने को निकले 10 मज़दूर पैदल ही रूपनारायणपुर पहुँचे थे।

हावड़ा में करते थे मजदूरी

लॉकडाउन के लगभग 2 माह हावड़ा में काट चुके इन मजदूरों की जेब में फूटी कौड़ी तक नहीं  थी, पाँव में टूटी चप्पल और एक मैली कुचेली थैली में मुढ़ी की एक पैकेट और पानी पीकर मीलों का सफ़र पूरा करना शायद उस धावक के लिए भी आसन नहीं होगी जिन्होंने देश के लिए मैडल जीते हैं ।

अपनी बदहाली की गाथा बयाँ करते हुए मनोज पुजहर,अशोक पुजहर, प्रदीप गिरी, अरविन्द पहाड़िया, सुधीर पहाड़िया,संदीप पहाड़िया, जोगिन्दर पहाड़ी, बासुदेव रॉय, पंचानंद कुमार, एवं बिहारी पहाड़िया ने बताया कि वे लोग हावड़ा में दिहाड़ी मजदूरी करते है और रोज सुबह सड़क के किनारें खड़े रहते हैं , जहाँ ठेकेदार उन्हें काम पर ले जाते हैं । प्रतिदिन 200 से 250 रुपए की दिहाड़ी पाकर सभी लोग फूटपाथ पर ही रात गुजारते हैं  ।

भूखे मरने की नौबत आई तो पैदल ही चल पड़े

पहले गरीबी और अब बदहाली ने आज तक पीछा नहीं छोड़ा, सभी ने एक सुर में आपबीती बताते हुए कहा घर भेजने के लिए जोड़ जोड़कर रखें रुपये लॉकडाउन में खर्च हो गए, भूखमरी को सामने खड़ी देख हमलोगों ने पैदल ही घर जाने का निर्णय लिया। किन्तु अब आगे का सफ़र इन मजदूरों के लिए और भी कष्टदायक होने वाली थी, बंगाल पुलिस से लेकर झारखण्ड पुलिस की मर्ज़ी के बिना इन्हें झारखण्ड में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा ।

कहीं मिली फटकार तो कहीं सहानुभूति

मजदूरों ने बताया कि हावड़ा से लेकर यहाँ तक की सफ़र में कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ा । कहीं  फटकार और कहीं नफरत से पुलिस खदेड़ती रही और  कुछ पुलिसवालों ने आदरपूर्वक बिस्कुट और मुढ़ी भी खाने को दिया ।

तृणमूल नेता ने की मदद

मामले की जानकारी सालानपुर ब्लॉक तृणमूल महासचिव भोला सिंह को मिलते ही उन्होंने पहुँचकर मजदूरों का हाल जाना और कुछ समय रूककर खाना खाने के लिए मजदूरों से आग्रह कर सभी को भर पेट भोजन का प्रबंध किया ।

भोला सिंह ने कहा कि बाराबनी विधायक विधान उपाध्याय के निर्देश पर सभी आने-जाने वाले राहगीर को प्रतिदिन भोजन की व्यवस्था की जा रही है । आज भी इन सभी मजदूरों को खाना खिलाया गया ये सभी लोग चार दिन से भूखे थे।

उन्होंने कहा कि विधायक की पहल पर सभी को घर भेजने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे इन सभी का आगे का सफ़र आसान हो सके । सामाजिक कार्यकर्ता आशुतोष तिवारी का भी सराहनीय भूमिका रही ।

Last updated: मई 8th, 2020 by Guljar Khan
Guljar Khan
Correspondent : Salanpur/Chittranjan/Barabani (Pashchim Bardhman: West Bengal)
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