*तालाब से तरक्की की ओर – टाटा स्टील फाउंडेशन द्वारा ग्रामीण विकास और सतत कृषि को बढ़ावा देने के लिए जामाडोबा और सिजुआ क्षेत्रों में कुल 96 तालाबों का किया गया निर्माण या नवीनीकरण*
*खनन प्रभावित इलाके के बीचों-बीच किसान दिखा रहे हैं कि दृढ़ संकल्प और टीमवर्क*
जोड़ापोखर । टाटा स्टील फाउंडेशन द्वारा ग्रामीण विकास और सतत कृषि को बढ़ावा देने के लिए चलाए जा रहे प्रयासों के तहत वित्तीय वर्ष 2014–15 से अब तक जामाडोबा और सिजुआ क्षेत्रों में कुल 96 तालाबों का निर्माण या नवीनीकरण किया गया है। इन जल स्रोतों का उपयोग रणनीतिक रूप से मछली पालन, सब्जी उत्पादन और एकीकृत कृषि मॉडल के माध्यम से स्थानीय आजीविका को मजबूत करने के लिए किया गया। इसके तहत किसानों को बीज, सिंचाई पंप, सोलर फेंसिंग, जैविक खाद, फिंगरलिंग्स और बतख-मुर्गी जैसे छोटे पशुधन उपलब्ध कराए गए। इन जल स्रोतों के एकीकृत उपयोग का उद्देश्य कृषि एवं उससे जुड़े क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना और बाजार से जुड़ाव को मजबूत करना रहा है। धनबाद के कोल बेल्ट क्षेत्र जामाडोबा गांव में एक छोटे से किसान समूह ने वर्ष 2019 से अपनी ज़िंदगी बदलने की दिशा में लगातार मेहनत की है। खनन प्रभावित इस इलाके के बीचों-बीच, उमेश कुमार सिंह, दिनेश सिंह, राज कुमार राजवार, नीरज कुमार, नरेश कुमार, कृति महाला, विशाल कुमार, देवा बिषकर्मा और अंकुश कुमार जैसे किसान यह दिखा रहे हैं कि दृढ़ संकल्प और टीमवर्क से क्या कुछ संभव हो सकता है। इन सभी ने मिलकर मत्स्य पालन समिति, कालीमेला डुंगरी नामक समूह बनाया है, जिसकी लगन और मेहनत ने एक ठहरे हुए तालाब को विकास और समृद्धि का प्रतीक बना दिया है। इनमें से उमेश कुमार सिंह ने पारंपरिक कृषि की सीमाओं से आगे सोचने का साहस दिखाया। एक छोटे तालाब, सीखने की प्रबल इच्छा और परिवार की आजीविका सुधारने के सपने के साथ उन्होंने नई राह चुनी। यह सफर तब शुरू हुआ जब उमेश ने अपने 200×200 फीट के, महज 3 फीट गहरे तालाब की ओर देखा और उसमें सिर्फ पानी नहीं, बल्कि संभावनाओं का एक समुंदर देखा। अपने क्षेत्र में फाउंडेशन की बढ़ती पहल से प्रेरित होकर उमेश ने मछली पालन की दिशा में कदम बढ़ाने का फैसला किया। उन्होंने सबसे पहला कदम उठाया पशुपालन विभाग, धनबाद द्वारा आयोजित 5 दिवसीय बुनियादी मत्स्य पालन प्रशिक्षण में नामांकन करके, जहाँ उन्होंने मछली पालन की बुनियादी जानकारी हासिल की। अपनी ज्ञान यात्रा को आगे बढ़ाते हुए उमेश ने झारखंड मत्स्य विभाग द्वारा रांची में आयोजित 3 दिवसीय उन्नत प्रशिक्षण कार्यक्रम में भी भाग लिया। यहाँ उन्होंने आधुनिक मछली पालन तकनीक, रोग प्रबंधन के उपाय, और बाजार से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त कीं। नई ऊर्जा और आत्मविश्वास के साथ उमेश जामाडोबा लौटे और फाउंडेशन के मार्गदर्शन में मछली पालन की अपनी यात्रा की शुरुआत की। प्रशिक्षण के बाद, धनबाद मत्स्य विभाग ने उनकी मदद के लिए रोहू, कतला और मृगल प्रजाति के मछली का चारा (स्पॉन) के 10 पैकेट और मछली पकड़ने के जाल उपलब्ध कराए, जिससे वे अपने प्रयासों की ठोस शुरुआत कर सकें। उमेश के अनुरोध पर फाउंडेशन ने उनके तालाब की गहराई बढ़ाकर 6 फीट करने में भी सहायता की, जिससे उन्हें थ्री-लेयर फिश फार्मिंग शुरू करने का अवसर मिला. एक ऐसी पद्धति जिसमें तालाब की अलग-अलग गहराई में विभिन्न प्रजातियों की मछलियों को पालकर उत्पादन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि की जाती है। नियमित फील्ड विज़िट और तकनीकी सहायता के साथ उमेश को अब अपने प्रयासों के ठोस परिणाम दिखने लगे हैं। वित्त वर्ष 2024-25 में, टाटा स्टील के सहयोग से, उनके लिए एक तालाब का निर्माण किया गया। इस तालाब का उपयोग करते हुए, उन्होंने फिंगरलिंग पालन शुरू किया। वर्तमान में, वे फिंगरलिंग और मछली पालन, दोनों गतिविधियाँ जारी रखे हुए हैं, जिससे उन्हें ₹3.00 से ₹3.50 लाख की वार्षिक आय प्राप्त हो रही है।
संवाददाता – शमीम हुसैन