नव भारत जागृति केंद्र बहेरा आश्रम द्वारा 2005 से संचालित लोक नायक जयप्रकाश आंख अस्पताल में बुधवार को पहली बार आईसीएल लेंस (इम्प्लांटेबल कॉलेमर लेंस) का सफल प्रत्यारोपण किया गया। उक्त जानकारी अस्पताल प्रबंधक संतोष कुमार पूरी ने देते हुए बताया कि मनोज कुमार यादव ग्राम बभनाडीह, बरही निवासी जो पेसे से एक भारी मशीन ऑपरेटर है। जो बिहार शरीफ में पोकलेन चलाते है। लंबे समय से आंख की समस्या से जूझ रहा था। जिससे निजात पाने के लिए एलएनजेपी आंख अस्पताल में डॉ अलोक कुमार को दिखाया। पूरी जांच करने के बाद डॉ अलोक ने उन्हें आईसीएल लेंस (इम्प्लांटेबल कॉलेमर लेंस) लगाने की सलाह दिया और सफल प्रत्यारोपण बुधवार को किया गया। जिससे एक तरफ चौपारण के लोगो के लिए भविष्य में बड़ी समस्या का समाधान हो सकेगा। वही अस्पताल संस्थापक, संचालक व कर्मियों में काफी उत्साह है।
क्या है आईसीएल लेंस
एलएनजेपी का एक्सपर्ट डॉ अलोक ने बताया कि यह लेंस 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों को मोटे चश्मे से निजात दिलाता है। जिनकी रौशनी स्थिर हो गई हो एवं जिनका रिपोर्ट नार्मल हो उन्हें ये लेंस लगाया जा सकता है।
क्या है इसकी विधि
इसमें मरीज के दोनों आंखों का ऑपरेशन होता है और आईसीएल लेंस (इम्प्लांटेबल कॉलेमर लेंस) लगाया जाता है। दोनों ऑपरेशन एक दिन के अंतराल पर होता है। जिससे मरीज को मोटे चश्मे अथवा कांटेक्ट लेंस से छुटकारा मिल जाता है। इससे उसकी दिनचर्या में कोई अंतर नहीं पड़ता है। उन्होंने बताया कि अस्पताल में पहला मरीज के रूप में मनोज आये थे। जिनका दाहिने आंख में -14 .00 एवं बाएं आंख -16 .00 पावर का मोटा ग्लास लगा था। मरीज मनोज ने बताया कि मोटा-मोटा ग्लास का चश्मा लगाने के वावजूद स्पष्ट नहीं दिखाई पड़ता था। गुरुवार की सुबह जब आंखों से पट्टी हटी और जांच की गई तो बिना चश्मे के स्पष्ट देख पा रहे थे। डॉ आलोक ने बताया कि इस ऑपरेशन के बाद अब मरीज को मामूली चश्मे की जरूरत पड़ सकती है। सफल प्रत्यारोपण से अस्पताल कर्मियों ने डॉ आलोक व प्रबंधक पूरी को बधाई एवं संस्थापक सतीश गिरजा, गिरजा सतीश, डायरेक्टर गंधर्व गौरव ने शुभकामनाएं दिया।